सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

सोमवार, सितंबर 22, 2008

शीर्षक के बारे में

मेरा मानना है कि सरकार समाज के लिए पहला कदम उठाती है और प्रसाशन दूसरा । लेकिन जो हम समाज के साधारण से लोग इनसे जो आशा रखते हैं उस पर ये खरे नही उतर पाते ........... बस तब मैंने यह सोचा क्यों न अब हम इन्हें जगाने के लिए तीसरा कदम उठायें ..............इन्हें याद दिलाएं की हमे खुशी चाहिए , हमे चाहिए सुख शान्ति और वो.... जो देखा है ख्वाबो में ......................

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