सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

शनिवार, मई 24, 2014

गंगा माँ और लोकसभा चुनाव

इस लोकसभा चुनाव में माँ गंगा की बल्ले बल्ले रही.
बात चाहे भारतीय जनता पार्टी की हो या कांग्रेस की, उत्तर भारत के प्रमुख राजनितिक दलों ने इस चुनाव में गंगा माँ को याद किया. इतना ही नहीं नवजात दल आम आदमी पार्टी ने भी गंगा माँ की गोद में डुपकियां लगाईं.
लेकिन मुझे हैरत इस बात की है कि गंगा माँ को याद तो सबने किया लेकिन कोई भी उनकी निर्दयी हालत को सुधारने नहीं आया. किसी ने उनकी वर्षों से ख़राब तबियत के बारे में नहीं पूंछा. किसी ने नहीं कहा कि उनकी पवित्रता वापस लायी जायेगी. बस आये डुपकी लगाई और चलते बने. 
माँ आज भी वहीँ हैं. बीमार हैं. दुखी हैं. लेकिन देखिये माँ का दुलार, अपनी उलटी गिनती गिन रही माँ ने किसी को दुखी नहीं होने दिया. और आज भी लोगों का मल-मूत्र अपने में समां कर उन्हें आशीर्वाद ही दे रहीं हैं.

कमाल ये है लोग अपने घर का मल-मूत्र उनके आँचल में बहा देते हैं और उन्हें माँ कहते हैं.

हम भारतियों को अपनी माँ को गन्दा करने में कितना मजा आता है.
और हम कहते हैं कि हमारी सभ्यता विश्व की सभ्यता से अच्छी है.

courtesy- http://shipbright.files.wordpress.com/2010/02/ganges-pollution.jpg

शुक्रवार, मई 02, 2014

मीडिया भी दोषी

30 अप्रैल 2014 को मैंने एक पोस्ट "क्या ये अयोग्य मीडिया का उदाहरण नहीं?" नाम से लिखी थी. (http://teesrakadam.blogspot.in/2014/04/blog-post_30.html)
1 MAY 2014, AMAR UJALA, LUCKNOW EDITION.
मीडिया कितना अयोग्य है, चुनाव आयोग ने भी अपनी कार्यवाही में दर्शा दिया. वोटिंग के दौरान चुनाव चिह्न का प्रचार करना गलत है. और मीडिया का सामने दिखाना और उसका लाइव टेलीकास्ट करना भी गलत.
लेकिन अयोग्य पत्रकारों की भारती के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं.
योग्य पत्रकारों का संघठन होता तो लाइव टेलीकास्ट रोका भी जा सकता था. 
मेरी प्रतिक्रिया के बाद अगले दिन अखबार में भी यही दिखा.
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जब में नौकरी मागने जाता हूँ तो मुझे कह देते हैं- रिफरेन्स (जिसकी चाटुकारिता करते हो उसका नाम) बताओ. और मैं कह देता हूँ, ऐसा तो कोई है नहीं.
और जो लोग नौकरी कर रहे हैं, वो कितने योग्य हैं आप देख ही रहे हो.