सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

शुक्रवार, जुलाई 11, 2014

धन्य हो बेसिक शिक्षा परिषद् और डाएट

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा के गिरते स्तर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 में हाल ही में वेबसाइट पर अपलोड की गये विवरण में जबरदस्त गलतियां कर दी गईं. जो हाजारों में आंखें खोल कर गलतियाँ कर रहे हों उनसे प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने की क्या आशा की जा सकती है. 

प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 के लिए भरे गये फॉर्म को विभाग ने वेबसाइट पर अपलोड किया. एटा में 90 प्रतिशत अभ्यर्थियों की जन्मतिथि गलत अपलोड के दी गई. ये हाल सिर्फ एटा का ही नहीं कासगंज का भी है यहाँ भी हज़ारों अभ्यर्थियों की जन्मतिथि एक जैसी है. कनौज को तो गलतियाँ करने का अवार्ड दिया जाना चाहिए क्यूंकि कन्नौज में सभी अभ्यर्थियों की जन्मतिथि की जगह " #### " बना हुआ है.... इससे लगता है कि जैसे ये अभ्यर्थी अभी तक पैदा ही नहीं हुए.

कमाल ये नहीं कि गलतियाँ कर दी गईं, बल्कि कमाल ये है की आंखे खोल कर भी सही जानकारी नहीं अपलोड कर सके.

धन्य हो बेसिक शिक्षा परिषद् और डाएट, आपसे आशा है की देर-सबेर आप इन गलतियों को ठीक कर देंगे.

11 july 2014 amar ujala


excel file of Etah
excel file of Kannauj
excel file of Kasganj
















































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क्या चाहती है बेसिक शिक्षा परिषद्

प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 में गलतियों का अम्बार तो लगा ही है साथ ही अभ्यर्थियों को लगातार परेशान किये जाने का क्रम भी जारी है. परिषद् द्वारा मेरिट जारी करने के बाद गलतियों के सुधार के लिए प्रत्यावेदन मांगे थे. अब स्थिति ये है की इस प्रत्यावेदन को 3 बार संशोधित किया जा चुका है. 

सर्वप्रथम प्रत्यावेदन के प्रारूप में (4 जुलाई से लेकर शाम 8 जुलाई तक) 10वें क्रम पर सिर्फ मोबाइल नम्बर प्रदर्शित हो रहा था, 8 जुलाई को प्रत्यावेदन का नया प्रारूप तैयार कर दिया गया जिससे छात्र हकबका गये क्योंकि इन चार दिनों में पुराने प्रत्यावेदन प्रारूप पर ही छात्र संसोधन के लिए विवरण विभिन्न जिलों के डाएट में भेज चुके थे. प्रत्यावेदन के नये प्रारूप में 10वें क्रम के विवरण में, जिसमें मोबाइल नम्बर की जानकारी दी गयी थी, यूपी टेट परीक्षा 2011 का रोल नम्बर भी मांग लिया. ये रोल नम्बर किसी भी जिले में किसी भी छात्र के अपलोड नहीं किये गये. इस तरह अभ्यर्थी संशय में पड़ गये कि जो विवरण वे भेज चुके हैं वे स्वीकार भी होंगे या नहीं. कई अभ्यर्थियों के सेकड़ों रूपए स्पीड पोस्ट में खर्च हो चुके हैं, ऐसे में प्रत्यावेदन का नया प्रारूप और अभ्यर्थियों को और परेशान करने का शबब बन गया.

अभ्यर्थियों को नींबू की तरह निचोड़ने का काम अभी थमा भी नहीं था कि बेसिक शिक्षा परिषद् ने मात्र दो दिनों के भीतर प्रत्यावेदन का तीसरी बार प्रारूप बदल दिया. 10 जुलाई की सुबह तीसरी बार बदले गये प्रत्यावेदन के प्रारूप में 10वें क्रम को दो भागों में विभाजित कर दिया गया. पहले भाग में मोबाइल नम्बर दिया गया, जो सही होने पर दिखा रहा था और गलत होने पर गलत और कहीं-कहीं तो मोबाइल नम्बर उपलोड ही नहीं किये गये, इसके अलावा दूसरे भाग में, यूपी टेट परीक्षा 2011 का रोल नम्बर के लिए जगह खाली छोड़ दी गयी. यह जानकारी विभाग द्वारा अपलोड नहीं की गयी थी बल्कि भेजने वाले अभ्यर्थियों से मांगी गयी थी.

क्या अजीब है, दिसम्बर 2011 में फॉर्म भरते समय अभ्यर्थियों ने वेबसाइट पर अपलोड यूपी टेट परीक्षा 2011 के परिणाम की अंक तालिका की इन्टरनेट कॉपी लगाकर सम्बंधित जिले में भेजी थी. इस तरह हर जिले में टेट परीक्षा 2011 के अंक और रोल नम्बर की जानकारी मौजूद है, परन्तु स्वयं काम न करने की प्रतियोगिता में किसी भी जिले में टेट के अंक अपलोड ही नहीं किये. अब दोबार यही जानकारी मांग कर अभ्यर्थियों को नचाने में विभाग कोई कसर नहीं छोड़ रहा.


प्रत्यावेदन का प्रथम प्रारूप 
प्रत्यावेदन का द्वितीय प्रारूप 

प्रत्यावेदन का तृतीय प्रारूप 























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मंगलवार, जुलाई 08, 2014

डाटा ऑपरेटरों को बर्खास्त किया जाए.

प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011- 72825 भर्त्ती में 4 जुलाई 2014 को मेरिट लिस्ट जारी की जिसमें 1 लाख से ज्यादा छात्रों के विवरण गलत अपलोड कर दिए गये. 

लगभग हर जिले में हज़ारों में फॉर्म आये हैं कहीं कहीं तो लाखों में फॉर्म पहुचे हैं. इन फॉर्म की कंप्यूटर पर एंट्री ऑपरेटरों ने गलत भर दी.

जब जानकारी वेबसाइट पर अपलोड हुयी तो हज़ारों अभ्यर्थी अपने फॉर्म का विवरण देख हेरान हो गये. किसी की जन्मतिथि गलत तो किसी के पिता का नाम गलत, किसी के यूपी टेट परीक्षा के अंक गलत. और तो और हज़ारों अभ्यर्थियों के तो नाम ही नहीं मिल रहे जिससे यह लगता है कि उनका तो नाम ही गलत फीड किया होगा जिससे उनका नाम ही नहीं दिखा रहा.

सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया जाए 
ऐसे डाटा एंट्री करने वाले ऑपरेटरों को निष्कासित यानी नौकरी से बर्खास्त करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इन्हीं की वजह से छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी भारी गलतियाँ करने वाले ऑपरेटरों ने लाखों की रिश्वत दी होगी और सरकारी नौकरी पा ली होगी, तभी तो ये इतनी बड़ी बड़ी गलतियाँ कर रहे हैं. 

अधिकारी क्यों चुप?
अधिकारी इन ऑपरेटरों द्वारा भारी गलतियाँ करने पर कोई कार्यवाही भी नहीं कर रहे हैं जिससे यह साफ़ होता है कि अधिकारियों ने रिश्वत लेकर इन्हें सरकारी नौकरी पर रख लिया है और अब इनसे काम तो हो नहीं रहा तो कुछ कह भी नहीं सकते क्योंकि रिश्वत तो ले ली है तो डाटने का तो हक रहा नहीं.

गलती ऑपरेटरों की और भुगत रहे अभ्यर्थी
आप इस निकृष्ट व्यवस्था का उदाहरण देखिये कि जिन्होंने गलतियां की उन्हें कुछ कहा नहीं जा रहा और जो दो साल से नौकरी के लिए अपने चप्पल घिस रहे हैं उन्हें गलतियों के सुधार के लिए कहा जा रहा है....
मतलब ये कि जिन्होंने गलती की वो मौज कर रहे हैं और जिन्होंने गलती नहीं की वे बेचारे जिला दर जिला भटक रहे हैं.

विभिन्न अध्ययनों और रिपोर्टों से पता चलता है कि जब किसी व्यक्ति को उसका समाज नाजायज तरीकों से परेसान करता है और सताता है जबकि उसने कुछ न किया हो. निर्दोषों को बेवजह सजा दे दी जाती है तो ऐसे में कुछ समाज से तंग आ कर समाज के खिलाफ हिंसक और असामाजिक कदा उठाने को मजबूर हो जाते हैं. 
यूपी टेट भर्ती 2011 में ये देखने में आया है कि बेवजह की देर की जा रही है. जब प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011- 72825 भर्त्ती के 2012 में दोबारा फॉर्म निकाले गये तो चालान के लिए बैंकों में हजारों में जमावड़ा लग गया, कई लोगों को धक्का मुक्की में चोटें आयीं तो कुछ ने तो व्यथित होकर आत्महत्या कर ली. अब अभ्यर्थियों के सब्र का बाँध टूट रहा है.

अब वक़्त आ गया है इन अयोग्य ऑपरेटरों के खिलाफ आवाज़ उठाने का. अयोग्य हटेंगे तभी योग्य ओपरेटर आयेंगे. एक योग्य ऑपरेटर 1 गलती करेगा, 2 करेगा, 100 करेगा पर हज़ारों में नहीं करेगा.

हम उत्तर प्रदेश सरकार से अपील करते हैं कि जिन ऑपरेटरों ने प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011- 72825 भर्त्ती में उपलोड अभ्यर्थियों के विवरण में भारी गलतियाँ की हैं उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाए.

क्या आप सहमत हैं?


 
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फोटो केप्शन -
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रविवार, जुलाई 06, 2014

अक्ल बनाम यूपी टेट भर्ती

4 जुलाई को यूपी टेट बेसिक सहायक अध्यापक शिक्षा भर्ती 72825 की मेरिट जारी कर दी गई और साथ ही सरकार और अधिकारियों ने अपनी अक्ल का परिचय भी दे दिया.

05-07-2014 AMAR UJALA LKO
05-07-2014 AMAR UJALA LKO
 हुआ ये की जब मेरिट जारी की तो साथ ही अभ्यर्थियों की सामान्य जानकारी जैसे नाम, पता, जन्मतिथि, यूपी टेट 2011 नम्बर भी अपलोड किये. इन जानकारियों में भारी गलतियों कर दी गयीं. और कह दिया कि जिन अभ्यर्थियों की सूची जारी की है उनके सामान्य जानकारी गलत उपलोड हुयी है वे 5-8 जुलाई तक जहाँ फॉर्म भरा है उस जिले के डाईट में स्वयं जाकर प्रतिवेदन देकर ठीक करा सकते हैं.

क्या अजीब बात है. सोचिये, जिसने 20-30 जहग फॉर्म भरा है वह मात्र 3-4 दिनों में सभी जिलों में कैसे जा सकता है. इतना ही नहीं, जिस वेबसाइट पर जानकारी उपलोड की वो दो दिन तक इतनी बिजी रही की कई हजार लोग तो खोल ही नहीं पाए. उन्हें यही पता नहीं चल पाया दो दिनों में कि किस किस जिले में उनकी सामान्य जानकारी में गलती है.

क्या अधिकारी इस छोटी सी बात को समझ नहीं पाए कि अभ्यर्थियों ने कम से कम 5  और अधिक से अधिक 65 जिलों में फॉर्म डाला हैं. ऐसे में वे कैसे प्रत्येक जिले के डाईट में पहुच कर ठीक करा पायेंगे.


मान लीजिये किसी अभ्यर्थी के फॉर्म की जानकारी सहारनपुर] सोनभद्र और कुशीनगर में गलत है. तो वह 4 दिन में कैसे उत्तर प्रदेश की अतिम छोर पर बसे इन जिलों में जा पायेगा.

हालाँकि अभ्यर्थियों ने जबरदस्त विरोध और सरकार और अधिकारियों की अक्ल के चर्चे होने के बाद गलतियों को सुधारने की तिथि भी बढ़ा दी गई और सम्बंधित जिले में जाने के बजाये स्पीड पोस्ट का विकल्प भी दे दिया.

ऎसी अकाल का परिचय सिर्फ उत्तर प्रदेश में देखने को मिलता है.

आप भी आमंत्रित हैं ये सब देखने के लिए. आइये हमारे उत्तर प्रदेश.

शनिवार, जून 28, 2014

टाटा डोकोमो और त्याग

(फैंटेसी कहानी)
ओह मेरे प्रिय टाटा डोकोमो, मुझे माफ़ करना. आज वक़्त आ गया है कि तुमसे अपने दिल की बात कह दूं.
ऐसा नहीं कि तुमने मेरी सेवा नहीं की या अब करना बंद कर दी. मैं ये भी नहीं भूल सकता कि जब मैं घर से बाहर था तब सिर्फ तुम ही थे जो मुझे मेरी मम्मी और पापा से जोड़े रखता था. मैं ये भी नहीं भूलूंगा कि जब मेरा सिलेक्शन का कॉल आया तब तुम्हारे जरिये ही ये खुशखबरी सुनी. मैं जब स्नातकोतर उपाधि में प्रथम श्रेणी में पास हुआ तो तुम्हारे जरिये ही मुझे ये खबरें मिलीं. प्रतियोगिता परीक्षा पास करने की सूचना भी तुमने ही मेरे कानो में पहुचाई, तब तो फ़ोन भी मटक मटक कर नाच रहा था. वो तमाम खुशियों के पल तुम्हारे जरिये ही सुनने को मिले जिन्हें में कभी भूल नहीं सकता. प्रिय टाटा डोकोमो वो तुम ही तो थे जिसने मुझे हर पल "उसकी" खूबसूरत आवाज से जोड़े रखा. उसके पास भी तुम थे और मेरे पास भी. तुमने ही तो मुझे एक स्पेशल रिचार्ज से पूरे महीने "उससे" मुफ्त दिन-रात बातें करने का मौका दिया. उफ़! कैसे भूल सकता हूँ उन दिनों को.

मैं तो तुमसे ये शिकायत भी नहीं कर सकता कि तुम्हारी वजह से ही मेरा दिल चोरी हो गया और तुम्हारी ही वजह से मेरे दिल पर "उसने" हुकूमत कर ली और मैं कुछ न कर सका. पर जो मेरे साथ नींद, चैन, प्यार, दिल की लूट हुयी उसका भी जीवन में एक आनंद था. उस लूट ने ही तो कंगाल होने पर मुझे मेहनत करने के लिए प्रेरित किया. आज उसी लूट का ही तो नतीजा है जिस जगह में पंहुचा हूँ. पर इसका पूरा श्रेय मैं उस लूट को नहीं दे सकता, इसका कुछ श्रेय तुम्हें भी जाता है.

पर, टाटा डोकोमो तुम बहुत निर्दयी भी हो. मैं उस दर्द को कैसे भूल जाऊं जब तुम तेजी से सुबह सुबह ही चीखने लगे, इतना तो तय था खबर मनहूस ही होगी तभी तो फ़ोन भी पहले से ही कांपने लगा था. मैं सुनने को मजबूर था, जैसे ही तुम्हे अपने दिल से हटाकर कान पर लगाया तो सच मानो टाटा डोकोमो दुःख का पहाड़ टूट पड़ा. काश उस दिन तुम छुट्टी पर चले जाते. या "उसे" कह देते कि मैं अभी पहुँच से बाहर हूँ तो शायद वो मनहूस खबर तो नहीं सुनता. पर तुम्हें भी क्या दोष दूं, तुम तो अपना काम नि:स्वार्थ भाव से कर रहे थे. 

जानते हो टाटा डोकोमो उस दिन हुआ क्या? "उस" बेचारी को भी क्या दोष हूँ मैं, वो तो समाज के ठेकेदारों से हारी है. समाज से बाहर शादी करने को मना कर दिया तो उसने वही मुझसे कह दिया. बस! लेकिन यहाँ सब कुछ ख़तम नहीं हो जाता. काश! मैं इंसान न होकर तुम्हारी तरह ही एक माध्यम होता. जैसे तुम आईडिया, एयरटेल, बीएसएनएल अन्य माधयमों से चाहने भर से तुरंत और बिना इजाजत जुड़ जाते हो, काश समाज भी बिना इजाजत और मुक्त स्वभाव से किसी से भी जुड़ सकता तो दुनिया बेहद खूबसूरत होती. 

खैर, गड़े मुर्दे क्या उखाड़ना. जब जब तुम मेरे दिल के करीब होते हो तो सिर्फ तुम ही दिल के करीब नहीं होते. पुरानी यादें भी करीब होती हैं. इसलिए मैंने एक कठोर और असहनीय निर्णय लिया है. जैसे राम ने लक्ष्मण के साथ रहकर सीता जी की देखभाल की, वैसे ही तुमने मेरे साथ रहकर हमेशा उसकी खैर-खबर बनाए रखी. लेकिन, एक वक़्त राम ने ही न चाहते हुए भी लक्ष्मण को मजबूरी और वचन में बंधने के कारण त्याग दिया था. वैसे ही आज मैं भी तुम्हें त्यागने के लिए मजबूर हूँ. ताकि पुरानी यादें ताजा न हों. 

मुझे माफ़ कर देना टाटा डोकोमो. और हो सके तो मुझे संवेदनहीन मालिक न कहना.


तुम्हारा-  समाज से लड़ता "संघर्ष"


सोमवार, जून 23, 2014

जिम्मेदारी को तो समझाना ही होगा


कदम कदम "हगाये" जा, खुशी के गीत गाये जा,

ये गन्दगी है देश की, तू देश में फैलाये जा.








कितनी अजीब बात है, जब कोई हमारी बहन को घूर कर देखता है तो हमारा खून खोल जाता है, पर शौचालय के लिए जब वो बहन जाती है और तब उसे कोई शौच करते देखे तो कोई दिक्कत नहीं होती.
दोस्तों बड़ा दुःख होता है जब सरकार द्वारा शौचालय बनाने के लिए खाते में रुपया पहुँचाया जाता है और लोग उस पैसे को चाट कर जाते हैं... और फिर रोना रोते हैं की हम गरीब कहाँ से पैसे जुटाएं.
और फिर क्या होता है, हर सुबह की तरह बैठे मिलते हैं या तो नदी नालों के अगल बगल में या पटरी पर.

ये गलत आदत है. आप सिर्फ अपना ही नुक्सान नहीं कर रहे, बल्कि गन्दी फैलाकर पर्यावरण को भी दूषित कर रहे हैं.

आप रोज रोज एक ही जगह मलत्याग करने जाओगे और वह सफाई नहीं होगी तो मल सड़ते सड़ते जहर बन जायेगा और पर्यावरण में कणों के रूप में खुलकर आपके गाँव-मुहल्लों को ही बीमार करेगा.
मैं विज्ञान का छात्र तो नहीं हूँ, पर आर्ट साइड में भी इतना तो सीखा ही है की क्या गंदगी है और क्या सफाई.


मैं इस बात को नहीं नकारता कि नेता पैसा खा जाते हैं, लेकिन जितना भी मिलता है उतना तो शौचालय की दीवार बनाई जा सकती है, एक गड्ढा तो बनाया ही जा सकता है.


ये भी सच नहीं है की लोग जागरूक नहीं हैं, अगर जागरूक नहीं होते तो शौचालय का पैसा पाने के लिए इतनी भाग दौड़, खाता खुलवाना आदि नहीं कर पाते. ये काफी जागरूक हैं. बस काम करने को राजी नहीं हैं. वोट देकर पूरी जिम्मेदारी सरकार पर सौप देना चाहते हैं.

कृपया शौचालय बनवाइए और बीमारियों को कम कीजिये, क्योंकि अमीर तो अपने घर में दरवाजा, खिड़की बंद कर लेगा, A.C में बैठेगा. उसके बीमार होने के चांस बहुत कम होते हैं. बीमारी के 99 % संभावनाएं निर्धन और गरीब, मजदूर लोगों की ही होती है. और आप लोग ही अपने आस पास गंदगी फैलाते हो.
एक कहावत है- अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना. ये लोग वही कर रहे हैं. इन्हें पता नहीं, की अपने सड़ते मल मूत्र से एक दिन वही बीमार पद जायेंगे, और जब बीमारी हवा की तरह फैलने लगेगी तो दोष सरकार पर डाल देंगे, कि सर्कार प्रशासन ने कुछ नहीं किया.
अरे पहले जो आपने "किया" है उस पर तो चर्चा करो, फिर जो सरकार ने नहीं किया उस पर चर्चा करना.

मुझे समझने की कोशिश कीजियेगा, मैं आप पर आरोप नहीं, आपकी कमी बता रहा हूँ ताकि उसका जल्द सुधार हो और आप स्वयं की बीमारी से पार पा सकें :-)

आपका छोटा भाई.

गुरुवार, जून 05, 2014

छात्र शिक्षा भी है पौधरोपण

उत्तर प्रदेश में छात्रों का भविष्य अधर में डालने की तैयारी चल रही है या सरकार स्थिति से अनजान है, इस पर मुझे कुछ नहीं कहना.
लेकिन हाँ, मैं इस बात पर चर्चा जरूर करना चाहूँगा कि एक शिक्षक माली की तरह होता है जो बच्चों को शिक्षित कर उनके और देश के भविष्य का निर्माण करता है.
उत्तर प्रदेश में जिन्होंने बीटीसी की परीक्षा पत्राचार से पास की और यूपी टीईटी परीक्षा पास नहीं की उन्हें स्थायी शिक्षक (permanent job) बनाया जा रहा है. और जिन्होंने बी.एड/बीटीसी रेगुलर (नियमित) पढ़कर पास की और इसके साथ यूपी टीईटी परीक्षा भी पास की है, उन्हें यही समाजवादी पार्टी की यूपी सरकार नियमित करने में ढील दे रही है.
बात ये नहीं की सरकार ढील दे रही है. बात है उत्तर प्रदेश के भविष्य के निर्माण की. बात है देश के भविष्य की. बात है छात्रो के करियर की.

क्या ये सही है जो "माली" योग्य नहीं है फिर भी उसे बागवाँ सौंप दिया जाए.... क्या कोई किसान मिस्त्री से खेती करवाता है?? नहीं करवाता क्यूंकि सभी जानते हैं मिस्त्री घर की दीवार तो बना सकता है, किसानी नहीं कर सकता. बिलकुल इसी तरह से एक अयोग्य शिक्षक आने वाली पीढ़ी को सिर्फ भर्ष्टाचार के तरीके, असामाजिकता, गैर जिम्मेदारी आदि ही सिखा सकता है, मेहनत करना नहीं, क्यूंकि उसने खुद मेहनत नहीं की तो और को क्या सिखा पायेगा. 

मेरा मानना है योग्यताधारी और पात्र अभ्यर्थियों को ही शिक्षक बनने का मौका मिलना चाहिए.
क्यूंकि एक माली ही समझता है की किस पौधे को कब और कितना पानी देना है ताकि वो फले-फूले, न की सूख जाए :-)
31-05-2014, amar ujala, Lucknow.
4-06-2014, amar ujala, lucknow

शनिवार, मई 24, 2014

गंगा माँ और लोकसभा चुनाव

इस लोकसभा चुनाव में माँ गंगा की बल्ले बल्ले रही.
बात चाहे भारतीय जनता पार्टी की हो या कांग्रेस की, उत्तर भारत के प्रमुख राजनितिक दलों ने इस चुनाव में गंगा माँ को याद किया. इतना ही नहीं नवजात दल आम आदमी पार्टी ने भी गंगा माँ की गोद में डुपकियां लगाईं.
लेकिन मुझे हैरत इस बात की है कि गंगा माँ को याद तो सबने किया लेकिन कोई भी उनकी निर्दयी हालत को सुधारने नहीं आया. किसी ने उनकी वर्षों से ख़राब तबियत के बारे में नहीं पूंछा. किसी ने नहीं कहा कि उनकी पवित्रता वापस लायी जायेगी. बस आये डुपकी लगाई और चलते बने. 
माँ आज भी वहीँ हैं. बीमार हैं. दुखी हैं. लेकिन देखिये माँ का दुलार, अपनी उलटी गिनती गिन रही माँ ने किसी को दुखी नहीं होने दिया. और आज भी लोगों का मल-मूत्र अपने में समां कर उन्हें आशीर्वाद ही दे रहीं हैं.

कमाल ये है लोग अपने घर का मल-मूत्र उनके आँचल में बहा देते हैं और उन्हें माँ कहते हैं.

हम भारतियों को अपनी माँ को गन्दा करने में कितना मजा आता है.
और हम कहते हैं कि हमारी सभ्यता विश्व की सभ्यता से अच्छी है.

courtesy- http://shipbright.files.wordpress.com/2010/02/ganges-pollution.jpg

शुक्रवार, मई 02, 2014

मीडिया भी दोषी

30 अप्रैल 2014 को मैंने एक पोस्ट "क्या ये अयोग्य मीडिया का उदाहरण नहीं?" नाम से लिखी थी. (http://teesrakadam.blogspot.in/2014/04/blog-post_30.html)
1 MAY 2014, AMAR UJALA, LUCKNOW EDITION.
मीडिया कितना अयोग्य है, चुनाव आयोग ने भी अपनी कार्यवाही में दर्शा दिया. वोटिंग के दौरान चुनाव चिह्न का प्रचार करना गलत है. और मीडिया का सामने दिखाना और उसका लाइव टेलीकास्ट करना भी गलत.
लेकिन अयोग्य पत्रकारों की भारती के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं.
योग्य पत्रकारों का संघठन होता तो लाइव टेलीकास्ट रोका भी जा सकता था. 
मेरी प्रतिक्रिया के बाद अगले दिन अखबार में भी यही दिखा.
.
जब में नौकरी मागने जाता हूँ तो मुझे कह देते हैं- रिफरेन्स (जिसकी चाटुकारिता करते हो उसका नाम) बताओ. और मैं कह देता हूँ, ऐसा तो कोई है नहीं.
और जो लोग नौकरी कर रहे हैं, वो कितने योग्य हैं आप देख ही रहे हो.



बुधवार, अप्रैल 30, 2014

और बंदरिया रूठ गयी...

कहानी (3 फरवरी 2008)
प्रस्तुति- बृजेन्द्र कुमार वर्मा

कल ( 2 फरवरी ) एक बन्दर की गर्लफ्रेंड (बंदरिया) नाराज हो गई। बात बस इतनी सी थी कि बंदरिया को कहीं से पता चल गया कि श्रीराम सेना के कुछ कार्यकर्ताओं ने मेंगलोरू के एक पब में लड़कियों को पीटा। मतलब सचमुच बुरी तरह पीटा। भगवान् जाने कहाँ से पता चल गया? बन्दर ने लाख समझाने की कोशिश की वो नहीं मानी।
"जानू मैंने कुछ नहीं किया।", बन्दर ने सफाई दी।
"तुम रोज श्रीराम का नाम लेते हो , मुझे पता चला है कि जो पब में महिलाओं को पीट रहे थे, वो भी श्रीराम का नाम ले रहे थे।"
"लेकिन मैं  वहाँ नहीं था।"
"मैं सब समझती हूँ, मुझे बनाने की कोशिश मत करो... तुम.......तू........
बेचारा बन्दर साल भर से वेलेंटाइन का इंतजार कर रहा था और एन वक्त पर बंदरिया रूठ गई। जल्दी नहीं मानी तो वेलेंटाइन...
उसने अपनी बंदरिया को समझाने की कोशिश की।

"देखो जानू अब इस देश में एक ही धर्म के कई समुदाय पल चुके हैं। कोई भगवान् का नाम सिर्फ़ इसलिए लेता है कि वो अपना प्रचार कर सके, तो कोई इसलिए कि उसे सुख समृद्धि मिल सके। जिनके बारे में तुमने सुना वो लोग अपना प्रचार करने वालों में से हो सकते हैं शायद
बंदरिया ने तर्क दिया, "श्रीराम को मानने वाले कभी कन्याओं पर हाथ नहीं उठाते। अरे श्रीराम के भक्तों ने तो सीता मैया के लिए अपनी जान तक दे दी थी। अब ये कौन से श्रीराम के भक्त हैं, जिन्होंने धर्म की इज्जत के लिए कन्याओं पर हाथ उठाया

बन्दर अचंभित होकर बोला, " तुम कुछ नहीं समझती हो.....!
बन्दर परेशान था। बंदरिया नहीं मानी तो साल भर की मेहनत पर पानी फिर जायेगा

बंदरिया ने फिर बरराना शुरू किया,
"जब देखो नेताओं की तरह गुलाटी मारते रहते हो। जाओ पूछो इन समाज के ठेकेदारों से कि जिस धर्म की रक्षा तुम करते हो उसमे कहा लिखा हैं की कुवारी लड़कियों पर हाथ उठाया जाए। अरे जब श्रीराम का नाम लेते हो तो उनकी तरह महिला की इज्जत करना भी सीखो. "

बंदरिया खतरनाक नाराज थी. गुस्से में उसके मूंह का रंग नीला हो गया था, क्यूंकि सामान्यतः लाल तो रहता ही है.
" अरे जानू हमें इससे क्या लेना देना।"
"अरे अगर देश का हर आदमी ये कहने लगे की हमें क्या लेना देना तो हम देश के भविष्य को कैसे तय कर सकेंगे।"
बंदर खिसियाके बोला, "तुम्हें इतनी चिंता है तो तुम कर लो, जब भी इस देश को किसी ने सही राह दिखने की कोशिश की है उसे किसी किसी तरह से फंसा दिया जाता है और जो टेढ़े चलते हैं उन्हें कोई नहीं रोकता। "

अब वो बन्दर आजकल उन श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं को ढूंढ रहा है, जिसकी वजह से उसकी बंदरिया नाराज हो गयी और उसके वेलेंटाइन की वाट लग गयी.