सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

सोमवार, सितंबर 22, 2008

तीसरा कदम

लो आज से मैं भी आ गया उस ज़ंग में जिस ज़ंग ने संभाला हुआ है समाज की उस डोर को जो देती है ख़बर , विचार , मनोरंजन , सोच और वो चिंतन जो समाज को बाँधता है उसे उसकी सुरक्षा के लिए , ताकि वो समझ सके अपनेआप को , जाने नेतिकता को परम्परा को। जिसमे पाठक मेरे साथ है और मैं हूँ पाठक के लिए समर्पित ।
मैं कोशिश कारूंगा की आपकी चाहतों पर खरा उतर सकू ।
आपकी ही तरह कुछ सोचने वाला ....
आपकी तरह कुछ करने की सोच रखने वाला .....
आपकी ही तरह तत्पर उस समाज के लिए जिसने दिया मुझे ये विस्वाश की कुछ करू .....
बृजेन्द्र कुमार वर्मा

2 टिप्‍पणियां:

Ganesh Kumar Mishra ने कहा…

bhotai acche jaa raye ho guru......bas yun hi lage rao..apun ka bhi beelog hey....use bhi kabhi fursat mile to dekh lijo...

All the Best....

Ashok Gangrade ने कहा…

ख़बर , विचार , मनोरंजन , सोच और वो चिंतन जो समाज को बाँधता है