सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

मंगलवार, सितंबर 24, 2013

दुर्गा जी ने भी आखिर मान लिया कि उनसे "गलती" हो गयी

आखिर दुर्गा शक्ति नागपाल जी ने भी मान लिया कि उनसे "गलती" हो गयी. 
जिस देश के लोगों के लिए उन्होंने अपनी नौकरी कुर्बान कर दी, उस देश के लोगों ने एक आन्दोलन तक नहीं किया और एक नाबालिग के साथ दुराचार के आरोपी बाबा के लिए लोग अपनी जान तक देने को राजी हैं.
किसी ने सच ही कहा है, लोग जैसे होंगे, उस देश की सरकार भी उन्हें वैसी ही मिलेगी.

वैसे मैं अपना विचार व्यक्त करूँ तो दुर्गा जी ने सही निर्णय लिया. वे भी सोच रही होंगी जिस समाज के लिए उन्होंने संगठित ताकतवर लोगों से पंगा लिया, उस समाज ने एक बार भी उनका सहयोग नहीं किया. एक बार भी मोर्चा नहीं निकला, मार्च नहीं किया.. तो क्यूँ बेकार में इन लोगों के लिए कोई अपना भविष्य और करियर खतरे में डाले.

अमर उजाला, 22 sep 2013 (lucknow edition)
शायद वे सोच रही होंगी, इस गुंडा गर्दी और इस तरह की सरकार को बढ़ावा किसने दिया??? निश्चित ही वोट देकर आम जनता ने. और जब आम जनता खुद ऐसी सरकार को पसंद कर रही है तो फिर क्यों खनन के खिलाफ खड़ा हुआ जाए.

और अब देखिये न दुर्गा जी ने ये कहकर कि स्थिति को समझ नहीं पायी और गलती हो गयी और भविष्य में ऐसा नहीं होगा... बहाली पा ली.
इसका अर्थ समझे आप-
1 गलती हो गयी
2 स्थिति को समझे नहीं
3 भविष्य में ऐसा नहीं होगा.
पहले का मतलब है कि माफियाओं से भिड़कर गलती कर दी, दुसरे का कि माफियाओं की ताकत की स्थिति समझ नहीं पायीं और तीसरे का मतलब ये कि भविष्य में असंवेदनशील समाज के हित के लिए अपना करियर खराब नहीं करेंगी और न ही अब माफियाओं से पंगा लेंगी.

अगर समाज किसी आरोपी बाबा को बचाने की जगह दुर्गा जी जैसी अधिकारीयों का साथ देता तो शायद दुर्गा जी इस सिस्टम के आगे इतनी जल्दी हार नहीं मानती.