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सोमवार, जून 04, 2012

योग्यता पर लाठी चार्ज

पूरे देश में शायद ही कोई ऐसा प्रदेश हो जहाँ योग्यता पर लाठी चार्ज किया जाए. लेकिन यह गौरव प्राप्त हुआ है उत्तर प्रदेश को. मई के अंतिम दो दिनों में, जब उत्तर प्रदेश में अपनी मेहनत से टीईटी परीक्षा पास करने वालो पर सरकार ने 29 और 30 मई को लाठियां बरसाई.
बात सिर्फ इतनी थी कि वे अपनी मेहनत को सफल बनाने के लिए नियुक्ति की मांग कर रहे थे, जो कि लाजमी है. लेकिन सपा सरकार को ये जायज मांग करना रास नहीं आया और लखनऊ में धरने पर बेठे योग्य अभ्यर्थियों पर लाठिय बरसा दीं.
रिश्वत देने वाले शान से घूम रहे
कमाल की बात तो ये है कि सपा सरकार ने टीईटी पास योग्य अभ्यर्थियों पर जमकर लाठियां तो बरसा दीं, लेकिन जिन फर्जी अभ्यर्थियों ने टीईटी में पैसे देकर, रिश्वत देकर अपने नाजायज नंबर बढ़वाए, उनको सपा सरकार जेल के अंदर अभी तक नहीं कर पायी. सपा सरकार उन्हें जेल के अंदर कर पाने में असमर्थ क्यों है, पता नहीं.
क्या है मामला
गत वर्ष 2011 में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में 72000 शिक्षको की भर्ती की विज्ञप्ति जारी की. भर्ती प्रक्रिया के लिए बी.एड. धारको से आवेदन आमत्रित करवाए, लेकिन इसके साथ ही टीईटी को अनिवार्य पात्रता के रूप में रखा गया और उसी की मेरिट के आधार पर ही चयन करने की घोषणा की. यानी जो टीईटी परीक्षा पास करेगा और उसका नाम मेरिट लिस्ट में आएगा उसी का चयन किया जाएगा।
सपा का वादा सरकार बनी तो टीईटी करेंगे निरस्त
उत्तर प्रदेश का 2012 विधान सभा चुनाव सिर्फ राजनितिक गलियारों से ही नहीं गुजरा, बल्कि शिक्षा का भी इस चुनाव पर खासा प्रभाव पड़ा. जहां बीएसपी चुनाव के बाद टीईटी भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने का वादा कर रही थी तो वहीँ सपा नेता यहाँ तक कह गए कि अगर सपा को सरकार बनाने का मौका मिला तो वे टीईटी मेरिट पात्रता को ही निरस्त कर देंगे।

वक्त बदला और सपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनायी. और वही हुआ जिसका डर टीईटी योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को था. सपा ने साफ़ कर दिया के वे फिलहाल टीईटी के आधार पर भर्ती नहीं करना चाहते. प्रक्रिया वही अपनाई जायेगी जो अब तक होती आई है. यानी दसवीं, बारहवीं, स्नातक और बी.एड के रिजल्ट का औसत, जबकि इससे पहले की बीएसपी सरकार ने ये तय किया था कि भर्ती टीईटी की मेरिट के आधार पर ही होगी.
टीईटी बना मुद्दा 
टीईटी एक ऐसा मुद्दा बन गया जिसने उत्तर प्रदेश की सरकार ही बदल डाली. ऐसा प्रदेश की जनता ने क्यों किया, कुछ समझ नहीं आया. इस पर लोगो की अलग-अलग राय है.
जब मैंने अपने स्तर से टीईटी पास छात्रों से बात की तो उन्होंने अलग-अलग राय दी. टीईटी फेल या मामूली नम्बर लाने वाले छात्रों ने कहा कि टीईटी की मेरिट के आधार पर भर्ती नहीं होनी चाहिए. ये सरासर गलत है (अब फेल हो गए तो और क्या कह सकते हैं), आज तक उत्तर प्रदेश में ऐसा नहीं हुआ तो अब क्यों हो रहा है?

उधर टीईटी में बेहतरीन अंक लाने वाले अभ्यर्थी कह रहे हैं कि भर्ती टीईटी के आधार पर होनी चाहिए जो एक योग्यता का मापक है.
क्या होगा फायदा
जब 2007 से पहले सपा सरकार थी तब धडल्ले से स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में नक़ल चला करती थी, ऐसे कई आरोप सपा सरकार पर उस समय लगे. आलम ये था कि ठेके उठा करते थे (ठेके बीएसपी सरकार 2007-12 में भी उठने की चर्चा हुयी.) और इसका सबसे ज्यादा फायदा कई धूर्त लोगो ने उठाया।

ऐसे में बिना पढ़े 10-12वीं कक्षा में 70-80 प्रतिशत बन गए और यही दौर स्नातक-परास्नातक तक रहा. जबकि आता जाता कुछ नहीं. और अब जब टीईटी के माध्यम से भर्ती हो रही है तो यही अयोग्य लोग टीईटी की मेरिट से भर्ती नहीं होने देना चाहते, क्योंकि ये या तो मेरिट में फेल हो गए अथवा मामूली अंकों से पास हुए, लेकिन फर्जी तरीके से दसवीं, बारहवीं, स्नातक आदि में 70-80 प्रतिशत ले आये हैं. ऐसे में 10वीं, 12वीं, स्नातक और बी.एड के परीक्षाफल की मेरिट बनेगी तो भगवान भी इन्हें फेल नहीं कर सकेगा.
एक तरफ़ा होगा इन अयोग्य लोगो को फायदा.
क्या होगा नौनिहालों का भविष्य?
अगर 10-12वीं, स्नातक और बी.एड के परीक्षाफल की मेरिट बनी तो निश्चित ही फर्जी तरीके से 70-80  प्रतिशत बनाने वाले शिक्षक बन जायेंगे जिन्हें रत्ती भर भी ज्ञान नहीं. और जब इन्हें खुद ज्ञान नहीं होगा तो फिर ये प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे नौनिहालों का क्या हाल करेंगे, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
भर्ती टीईटी की मेरिट के आधार पर हो
योग्यता को कोई नहीं हरा सकता. ये बात हर देश के महान लोगो का कहना है. इस बार पर सपा सरकार को भी अमल करना चाहिए, ताकि नौनिहालों का भविष्य गर्त में न जाए और उन्हें योग्य अध्यापकों के द्वारा ही ज्ञान अर्जन करने का मौका मिले। कहते हैं बच्चे देश का भविष्य होगे हैं. इसी तरह उत्तर प्रदेश के बच्चे उत्तर प्रदेश का भविष्य हैं. क्या सपा सरकार चाहती है के हम 20 साल बाद अन्य प्रदेशों से पिछड़ जाएँ?


मुझे नहीं लगता सपा ऐसा चाहती है. आपको क्या लगता है?