सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

गुरुवार, दिसंबर 18, 2008

मैं नाराज हूँ तुमसे.....


मैं नाराज हूँ तुमसे.....

मैं नाराज हूँ रुखी बयारों से
ऊँची दीवारों से
खेत से
खलियानों से
बड़े पहलवानों से,
हिंदू के मीत से
मुस्लिम की रीत स
मैं नाराज हूँ तुमसे.....

मैं नाराज हूँ किसी के आने से
फिर चले जाने से
बाद में समझाने से,
बातों से
रातों से
इन मुलाकातों से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....

मैं नाराज हूँ कलियों से
गलियों से
और उन परियों से
हाँ से
न से
फिर चुप चुप से,
कल से
आज से
आते हुए कल से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....

मैं नाराज हूँ गरीबों की रोटी से
अमीरों की 'बोटी' से
आईने से
असली माइने से,
कभी शायद खुदा से
तो अपनी अदा जुदा से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....

मैं नाराज हूँ मन्दिर से
मस्जिद से
और अपनी 'इज्जत' से,
नीचाई से
ऊंचाई से
"उनकी" सच्चाई से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....

मैं नाराज हूँ अमीरों से
गरीबों से
'दिलकश' मरीजों से
शहादत से
आफताब से
एक खुली किताब से,
दिल से
दान से
और पुण्य 'काम' से,
लाभ से
हानि से
हर बेईमानी से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....

हाँ , मैं नाराज हूँ.......... 'तुमसे'.....


8 टिप्‍पणियां:

Ashok Gangrade ने कहा…

मैं नाराज हूँ किसी के आने से
फिर चले जाने से
बाद में समझाने से................................
मैं नाराज हूँ कलियों से
गलियों से
और उन परियों से ..............
हाँ , मैं नाराज हूँ.......... '
तुमसे'.....

Ganesh Kumar Mishra ने कहा…

मैं नाराज हूँ अमीरों से
गरीबों से
'दिलकश' मरीजों से
Waah!! Kya sunder abhivyakti hai. Aapki Naarazgi Wazib hai.
Lekin wo kya hai na ki "Jinke Aangan mein Amiri ka Sazar lagta hai, Unka har aib zamane ko hunar lagta hai.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!

Ganesh Kumar Mishra ने कहा…

Aapki Chhupi huyi abhivyakit kavita ke madhyam se spasht ho gayi....asahniy dard hai aapki rachna mein.

Ganesh Kumar Mishra ने कहा…

.मैं नाराज हूँ चले जाने से
बाद में समझाने से.
उन परियों के प्रोत्साहित से
मैं नाराज हूँ.......... '
तुमसे'.....

युवा हिन्दुस्तानी ने कहा…

dost itni bhi narazgi theek nahi............lekin agar hai to zahir karna bhi zaruri hai na jane wo kon hai kher kavita ki aur achcha kadam hai..........lage raho

shodarthi ने कहा…

बिरजू भाई नमस्कार
आपकी कविता में जो दर्द है उसकी वजह से में अपने आप को जवाब देने से रोक नही सका और आप की भावनाओ को हमेसा इसी तरह देखना चाहता हु पर इक बात है की आपके साथ जो हुआ उसके लिए मुझे अफ्सोसो तो है लेकिन में आप से यह भी पुचना चाहता हु की सब से आप नाराज है तो किसी से खुस भी है या नही
या फिर पुराणी चीज मिलने पर ही खुस होंगे
आपका दोस्त
सांतनु मिश्रा

POOJA PRAKASH ने कहा…

Bahut he sunder kavita