सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

मंगलवार, मई 05, 2020

बंटाई

कविता 

  बंटाई  


फसल काट ली 
बोरों में भर ली 
बंटवारे की बात आई 
जिसकी जितनी क्षमता थी
उतनी बोरे रखने की आज़ादी 
मेहनत करने वाले ने अपना झोपड़ा खोला 
जमीन वाले ने अपना महल 
-बृजेन्द्र कुमार वर्मा 

1 टिप्पणी:

brijendra ने कहा…

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