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मंगलवार, अगस्त 07, 2012

अन्ना हजारे और प्रोपगंडा

देश में भ्रष्टाचार है. देश के कई नेता भ्रष्ट हैं. देश का भ्रष्टाचार खत्म करना है, लोकपाल बिल पास कराना है. ये टीम अन्ना द्वारा देश की जनता पर किया जाने वाला प्रोपगंडा है. हालांकि प्रोपगंडा को पत्रकारिता में नकारात्मक तौर पर लिया जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है.
वास्तव में प्रोपगंडा व्यापक अर्थ में प्रतिनिधि या प्रोपगेंडिस्ट के प्रयोग द्वारा मानवीय क्रियाओं को प्रभावित करना है.
टीम अन्ना भी देश की जनता पर यही कर रही है. यहाँ पर एक बात गौर करने वाली अजब-गजब बात है कि प्रोपगंडा के लगभग सभी सिद्धांतों और विधियों का प्रयोग टीम अन्ना कर रही है.
अगर आपको प्रोपगंडा का बाते में अध्ययन करने को पर्याप्त सामग्री नहीं मिल पा रही है तो आप टीम अन्ना के क्रिया कलापों, उनके भाषणों और उनके माध्यम से जनता को दिए जाने वाले संदेशों पर गौर कर लें.

 प्रोपगंडा हमेशा लाभ के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक विचारों में परिवर्तन लाने के लिए भी किया जाता है. टीम अन्ना हर बार भ्रष्टाचार हटाओ, भ्रष्टाचार हटाओ कहती रहती है, यह पुनरावर्तन सिद्धांत है. पुनरावर्तन सिद्धांत क्या है, किसी तथ्य के सम्बन्ध में बार-बार प्रोपगंडा करने पर लोग उसे मान लेते हैं. हिटलर ने कहा था. "यदि किसी झूठ को बार-बार पुनरावर्तित किया जाए तो वह भी सत्य मान लिया जाता है."

हालंकि टीम अन्ना कोई झूठ नहीं बोल रही, लेकिन सिद्धांत यही अपना रही है. इसीलिए आज लोगों ने या स्वीकार कर लिया है कि देश में भ्रष्टाचार है और उसे हटाना है. अब चाहे लोग आंदोलन में शामिल हों या शामिल न हो लेकिन उन्होंने ये स्वीकार कर लिया है कि भ्रष्टाचार खत्म करना है और लोकपाल बिल लाना है.
अगर विधियों की बात करें तो प्रोपगंडा की लगभग सभी विधियों का प्रयोग टीम अन्ना करती है. इसमे- नामकरण विधि, प्रमाण-पत्र विधि, लोकरीति विधि, एकांगी विचार विधि, विश्व जनीन भ्रम विधि, संवेग उत्तेजन विधि और आकर्षक सामान्य विधि आदि शामिल हैं.
बहरहाल टीम अन्ना ने इन विधियों को काफी सोच समझकर प्रयोग किया है. इसीलिए समय समय पर इसका फीडबेक भी मिलता रहा है. कुछ और भी चर्चा करते हैं.

नामकरण विधि में प्रोपगंडिस्ट अपने नेता और अनुयायियों को अच्छे नामों से पुकारता है और अपने विरोधियों को बुरे नामो से. टीम अन्ना ने भी यही किया. अपने नेता महात्मा गाँधी को राष्ट्र नेता, बापू, युगपुरुष कहा, अन्ना को समाज सेवक बताया और यूपीए समर्थित प्रधानमंत्री को कमजोर, सांसदों को भ्रष्ट व सरकारी नीतियों को जन विरोधी बताया.

(बाएं से - प्रशांत भूषण, अन्ना हजारे और अरविन्द केजरीवाल.)
अब बात करते हैं प्रमाण पत्र विधि की. इसमे प्रोपगंडिस्ट अपने मत पक्ष में प्रसिद्ध महापुरुषों, नेताओं के नामों का प्रयोग करता है व उनके विचारों का उल्लेख करके श्रोता को प्रभावित करता है. अन्ना और अरविन्द केजरीवाल ने भी अपने आंदोलन में कई जगह गाँधी, भगत सिंह, तिलक जैसे महापुरुषों और नेताओं का नाम लेकर उनके विचारों से जनता को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं. उनके हर आंदोलन में ऐसा नजर आता ही है.

तीसरा है लोकरीति विधि. प्रोपगंडिस्ट अपनी नीतियों को जनता की नीति बताते हैं. टीम अन्ना में प्रशांत भूषण, केजरीवाल, किरण बेदी या खुद अन्ना अपनी मंशाओं को मांग को या नीतियों को जनता की मंशा, मांग या नीति बताते हैं. टीम भी कोई भी बात कहते समय "देश चाहता है" या "जनता चाहती है" या "देश के 100 करोड लोग चाहते हैं" जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं. अगर देश पर नजर डालें तो देश के 60 करोड लोग अभी भी अन्ना के आंदोलन और उनकी मांगो से अनभिज्ञ हैं, लेकिन फिर भी टीम के सदस्य "100 करोड जनता" जैसा वाक्य प्रयोग कर अपनी मंशा जाहिर करते हैं.

एकांगी विचार विधि में टीम अन्ना नम्बर वन रही है. इसमें प्रोपगंडिस्ट पक्ष के समर्थन के लिए तथ्यों को तोड़-मरोडकर रखते हैं तथा एकांगी एवं मिथ्या बातों को भी प्रस्तुत करते हैं. जंतर मंतर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना के शुरूआती आन्दोलन के दौरान सदस्य अरविन्द केजरीवाल ने अपने एक भाषण में तो संविधान को भी गलत ठहरा दिया था, कमजोर करार दे दिया. इतना ही नहीं संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अम्बेडकर तक पर टिप्पणी कर डाली. ये और बात है कि बात में इस कुकृत्य के लिए उन्होंने मांफी मांगते हुए अपने बयान का मतलब समझाया.

हर आंदोलन में टीम अन्ना ने विश्वजनीन भ्रम विधि का खासा प्रयोग किया जाता रहा है. इस विधि के द्वारा प्रोपगंडा में ये दिखाने की कोशिश की जाती है कि बहुमत उन्ही की नीति/मांग के पक्ष में है. टीम अन्ना ने भी 10 लाख लोगों के दिल्ली में इकट्टठे हो जाने के बलबूते 100 करोड लोगों को अपने बहुमत में होना बता दिया.
संवेग उत्तेजन विधि  में प्रोपगंडिस्ट जनता या श्रोतागण में भय, चिंता या असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर देते हैं. और कोई रास्ता न देख वे प्रोपगंडिस्ट के सुझाव को स्वीकार कर लेते हैं. टीम अन्ना ने भी जनता को भ्रष्टाचार के नाम पर डराया और देश में भ्रष्टाचार से आम जन के भूखे मरने तक की नौबत, बच्चों की पढाई का खतरा, मंहगाई, भविष्य का कठिन जीवन और आतंकवाद में बढ़ोतरी जैसी बातों से उन्हें अपने विचारों को मानने पर विवश किया. कई बार सुना गया आन्दोलन में  "इन" भ्रष्टाचारियों के बीच जीन मुश्किल है. इन्हें उखड फेकना है. लोगो को सुझाव प्रस्तुत किये और लोगों ने सुनें. स्वीकार किया या नहीं, ये मेरी चर्चा का विषय नहीं.
(कुमार विश्वास, टीम अन्ना के सदस्य)

अब बात आई प्रोपगंडा के सबसे खास विधि की. वो है आकर्षक सामान्यता विधि. टीम अन्ना में इस विधि के नायक मैं कुमार विश्वास को मानता हूँ. क्यों? असल में आकर्षक सामान्यता विधि में प्रोपगंडिस्ट  आकर्षक शब्दों, नारे, स्लोगन, कथनों का प्रयोग करके श्रोतागणों को प्रभावित करता है. ऐसे में आप समझ गए होंगे कि ये काम अन्ना की टीम से कुमार विश्वास ने बखूबी निभाया है. अब बताइए, हुए न कुमार विश्वास इस विधि के नायक. हर आन्दोलन में वे कविता, सुन्दर कथन, नारे लगाते हुए मिलते हैं. कुछ और काम हो न हो इसमे वे मझे हुए खिलाड़ी हैं.

प्रोपगंडा टीम अन्ना ने बड़े सलीके से प्रयोग किया है और इसीलिए इसका असर भी कई जगह देखने को मिला. प्रत्येक आंदोलन में किया जाने वाला प्रोपगंडा अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. हालाँकि टीम के भंग होने से पहले शुरू किये अनशन में किया जाने वाला प्रोपगंडा दम तोडने लगा था. हफ्ते भर पहले शुरू हुए अनशन में ये हाल था कि लोगो ने, जो पहले हुए आंदोलनों में शिरकत कर चुके थे, इस बार आन्दोलन में पहुचने तक की जहमत नहीं उठाई. क्योकि इस बार प्रोपगंडा के सिद्धांतों का प्रयोग सही तरीके से नहीं किया गया था.

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