सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

मंगलवार, मई 10, 2011

पानी भरते समय....

आज मेरी डायरी में एक फटे हुए कागज़ में लिखी हुए एक बहुत पुरानी कविता नजर आई। ये मेरे एक लागोटिये दोस्त के लिए लिखी थी मैंने। करीब 2008 में लिखी थी ट्रेन में, जब में दिल्ली में अपने घर जा रहा था...


सुनो दोस्त, आज मैं तुम्हारी
दिल की नगरी में हूँ
खोल दो अपने दिल के एल्बम
आज निकालो वो तस्वीरें
जिसमें खेलते थे कंचे
कभी हम दोनों
देखो...
यह तस्वीर
ये वो घुट्टन्ना है
जिसे तुमने खुद
टेढ़ा-मेढ़ा सिला था
जब टैंकर से पानी
भरते समय
फट गया था ये ...


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