सोशल मीडिया की छवि को जबरन खराब बनाया जाता है, क्योंकि वे जानते हैं यदि सोशल मीडिया को दबाया नहीं गया तो यही सोशल मीडिया सच की ऐसी दीवारे कड़ी कर सकता है जिसे गिरा पाना नामुमकिन हो जाएगा. जो काम आज सोशल मीडिया कर रहा है, वही का आज से पहले 20वीं शदाब्दी के शुरू के दशकों में प्रेस कर रहा था. जब उन पर रोक लगा दी जाती तो चुपचाप प्रेस चलाया जाता और छुपे छुपे पत्र एवं लेख एक जगह से दूसरी जगह भेजे जाते. लोगो को जागरूक करने की मुहीम हमेशा से चलती रही और चलती रहेगी.
वर्तमान में भी सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हैं, इस माध्यम को बदनाम करते हैं, ताकि लोगो को जागरूक न किया जा सके. एक और कारण है, आजकल टेलीविजन पर समाचार कम देखे जाने लगे है और सोशल मीडिया पर आने वाले सूचना दायक वीडियो ज्यादा देखे जाते हैं, ऐसे में जो मुख्यधारा का मीडिया सूचना को तोड़ता मरोड़ता है तो आम जन को सोशल मीडिया से मिली सूचना से तुलना करके उस मुख्यधारा के मीडिया की सच्चाई पता चल जाती है और लोग देखना कम कर देते हैं, ऐसे में उस मीडिया की TRP प्रभावित होती है.
आज कल कुछ न्यूज़ चैनल, सोशल मीडिया के कुछ संदेशो की सच्चाई, जांच पड़ताल आदि जैसे कार्यक्रम कर बताते हैं कि सोशल मीडिया पर कैसे फेक न्यूज आ रही हैं..... पर वे लोगों को जिन्दा जलाने वाले वीडियों, या महिला पुरुष को भगा भगा के मारने वाले वीडियो की जांच पड़ताल नहीं करते... क्योंकि वे सरकार के इशारों पर काम करते हैं और सरकार की हो सकने वाली बदनामी वाले सो० मि० के संदेशों की जांच नहीं करते.
इससे कहा जा सकता है कहीं तो सोशल मीडिया को दबाने का प्रयास किया जा रहा है.
इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि सोशल मीडिया का दुरूपयोग भी तेजी से बढ़ा है. इसके लिए आम जन उपयोग करता को आना होगा. हर आने वाले मेसज के बारे में तर्क करना होगा. ताकि दुरूपयोग को रोका जासके.
आप सोशल मीडिया को दूसरे तरह से भी समझ सकते हैं, जिस समय मुख्यधारा के चैनल विदेश की बातें, पडोसी देश के कारनामे दिखाए जाएँ तो उस समय आप अपना सोशल मीडिया पर आ रहे संदेशों पर ध्यान दें... आपको पता चल जाएगा... न्यूज़ चैनल विदेश की बातें क्यों कर रहे हैं... और सोशल मीडिया क्या बता रहा है.
सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों को एक बात से सचेत रहना होगा की वे किसी गलत मकसद से आने वाले संदेशो से बचे एवं उस व्यक्ति से तत्काल हट जाएँ या ग्रुप से रिमूव कर दें जो अनैतिक बात कर रहा है, धार्मिक द्वेष फैलाने की कोशिश कर रहा है. समझदारी से लिए गये निर्णय से आप सोशल मीडिया को भी बचा सकते हैं और इसकी छवि को भी.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें