सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

शनिवार, अगस्त 18, 2018

पापा

15 अगस्त 2018
-बृजेन्द्र कुमार वर्मा.


लिया गोदी मुझे सबने, दिया प्यार मनचाहा,
हंसी साथ में तेरे, तो लगा और बात है.

मिली पप्पी, कभी झप्पी, कभी पारी मुझे घर में,
रही पास में तेरे, तो लगा और बात है.

पड़ी पीली, कभी लाली, कभी पपड़ी पड़ी सर में,
रोई कांधों पे तेरे, तो लगा और बात है.

खेली संग में उसके, जिसके बसी मन में,
खेली गोद में तेरे, तो लगा और बात है. 
-बृजेन्द्र कुमार वर्मा

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