उत्तर प्रदेश में छात्रों का भविष्य अधर में डालने की तैयारी चल रही है या सरकार स्थिति से अनजान है, इस पर मुझे कुछ नहीं कहना.
लेकिन हाँ, मैं इस बात पर चर्चा जरूर करना चाहूँगा कि एक शिक्षक माली की तरह होता है जो बच्चों को शिक्षित कर उनके और देश के भविष्य का निर्माण करता है.
उत्तर प्रदेश में जिन्होंने बीटीसी की परीक्षा पत्राचार से पास की और यूपी टीईटी परीक्षा पास नहीं की उन्हें स्थायी शिक्षक (permanent job) बनाया जा रहा है. और जिन्होंने बी.एड/बीटीसी रेगुलर (नियमित) पढ़कर पास की और इसके साथ यूपी टीईटी परीक्षा भी पास की है, उन्हें यही समाजवादी पार्टी की यूपी सरकार नियमित करने में ढील दे रही है.
बात ये नहीं की सरकार ढील दे रही है. बात है उत्तर प्रदेश के भविष्य के निर्माण की. बात है देश के भविष्य की. बात है छात्रो के करियर की.
क्या ये सही है जो "माली" योग्य नहीं है फिर भी उसे बागवाँ सौंप दिया जाए.... क्या कोई किसान मिस्त्री से खेती करवाता है?? नहीं करवाता क्यूंकि सभी जानते हैं मिस्त्री घर की दीवार तो बना सकता है, किसानी नहीं कर सकता. बिलकुल इसी तरह से एक अयोग्य शिक्षक आने वाली पीढ़ी को सिर्फ भर्ष्टाचार के तरीके, असामाजिकता, गैर जिम्मेदारी आदि ही सिखा सकता है, मेहनत करना नहीं, क्यूंकि उसने खुद मेहनत नहीं की तो और को क्या सिखा पायेगा.
मेरा मानना है योग्यताधारी और पात्र अभ्यर्थियों को ही शिक्षक बनने का मौका मिलना चाहिए.
क्यूंकि एक माली ही समझता है की किस पौधे को कब और कितना पानी देना है ताकि वो फले-फूले, न की सूख जाए :-)
31-05-2014, amar ujala, Lucknow. |
4-06-2014, amar ujala, lucknow |
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