इस लोकसभा चुनाव में माँ गंगा की बल्ले बल्ले रही.
बात चाहे भारतीय जनता पार्टी की हो या कांग्रेस की, उत्तर भारत के प्रमुख राजनितिक दलों ने इस चुनाव में गंगा माँ को याद किया. इतना ही नहीं नवजात दल आम आदमी पार्टी ने भी गंगा माँ की गोद में डुपकियां लगाईं.
लेकिन मुझे हैरत इस बात की है कि गंगा माँ को याद तो सबने किया लेकिन कोई भी उनकी निर्दयी हालत को सुधारने नहीं आया. किसी ने उनकी वर्षों से ख़राब तबियत के बारे में नहीं पूंछा. किसी ने नहीं कहा कि उनकी पवित्रता वापस लायी जायेगी. बस आये डुपकी लगाई और चलते बने.
माँ आज भी वहीँ हैं. बीमार हैं. दुखी हैं. लेकिन देखिये माँ का दुलार, अपनी उलटी गिनती गिन रही माँ ने किसी को दुखी नहीं होने दिया. और आज भी लोगों का मल-मूत्र अपने में समां कर उन्हें आशीर्वाद ही दे रहीं हैं.
कमाल ये है लोग अपने घर का मल-मूत्र उनके आँचल में बहा देते हैं और उन्हें माँ कहते हैं.
हम भारतियों को अपनी माँ को गन्दा करने में कितना मजा आता है.
और हम कहते हैं कि हमारी सभ्यता विश्व की सभ्यता से अच्छी है.
courtesy- http://shipbright.files.wordpress.com/2010/02/ganges-pollution.jpg |
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