कहानी (3 फरवरी 2008)
प्रस्तुति- बृजेन्द्र कुमार वर्मा
कल ( 2 फरवरी ) एक बन्दर की गर्लफ्रेंड (बंदरिया) नाराज हो गई। बात बस इतनी सी थी कि बंदरिया को कहीं से पता चल गया कि श्रीराम सेना के कुछ कार्यकर्ताओं ने मेंगलोरू के एक पब में लड़कियों को पीटा। मतलब सचमुच बुरी तरह पीटा। भगवान् जाने कहाँ से पता चल गया? बन्दर ने लाख समझाने की कोशिश की वो नहीं मानी।
"जानू मैंने कुछ नहीं किया।", बन्दर ने सफाई दी।
"तुम रोज श्रीराम का नाम लेते हो न, मुझे पता चला है कि जो पब में महिलाओं को पीट रहे थे, वो भी श्रीराम का नाम ले रहे थे।"
"लेकिन मैं वहाँ नहीं था।"
"मैं सब समझती हूँ, मुझे बनाने की कोशिश मत करो... तुम...त....तू....म....
बेचारा बन्दर साल भर से वेलेंटाइन का इंतजार कर रहा था और एन वक्त पर बंदरिया रूठ गई। जल्दी नहीं मानी तो वेलेंटाइन...
उसने अपनी बंदरिया को समझाने की कोशिश की।
"देखो जानू अब इस देश में एक ही धर्म के कई समुदाय पल चुके हैं। कोई भगवान् का नाम सिर्फ़ इसलिए लेता है कि वो अपना प्रचार कर सके, तो कोई इसलिए कि उसे सुख समृद्धि मिल सके। जिनके बारे में तुमने सुना वो लोग अपना प्रचार करने वालों में से हो सकते हैं शायद।
बंदरिया ने तर्क दिया, "श्रीराम को मानने वाले कभी कन्याओं पर हाथ नहीं उठाते। अरे श्रीराम के भक्तों ने तो सीता मैया के लिए अपनी जान तक दे दी थी। अब ये कौन से श्रीराम के भक्त हैं, जिन्होंने धर्म की इज्जत के लिए कन्याओं पर हाथ उठाया।
बन्दर अचंभित होकर बोला, " तुम कुछ नहीं समझती हो.....!
बन्दर परेशान था। बंदरिया नहीं मानी तो साल भर की मेहनत पर पानी फिर जायेगा।
बंदरिया ने फिर बरराना शुरू किया,
"जब देखो नेताओं की तरह गुलाटी मारते रहते हो। जाओ पूछो इन समाज के ठेकेदारों से कि जिस धर्म की रक्षा तुम करते हो उसमे कहा लिखा हैं की कुवारी लड़कियों पर हाथ उठाया जाए। अरे जब श्रीराम का नाम लेते हो तो उनकी तरह महिला की इज्जत करना भी सीखो. "
बंदरिया खतरनाक नाराज थी. गुस्से में उसके मूंह का रंग नीला हो गया था, क्यूंकि सामान्यतः लाल तो रहता ही है.
" अरे जानू हमें इससे क्या लेना देना।"
"अरे अगर देश का हर आदमी ये कहने लगे की हमें क्या लेना देना तो हम देश के भविष्य को कैसे तय कर सकेंगे।"
बंदर खिसियाके बोला, "तुम्हें इतनी चिंता है तो तुम कर लो, जब भी इस देश को किसी ने सही राह दिखने की कोशिश की है उसे किसी न किसी तरह से फंसा दिया जाता है और जो टेढ़े चलते हैं उन्हें कोई नहीं रोकता। "
अब वो बन्दर आजकल उन श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं को ढूंढ रहा है, जिसकी वजह से उसकी बंदरिया नाराज हो गयी और उसके वेलेंटाइन की वाट लग गयी.
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