"पापा की परी" से आजकल बहुत से मजाकिया वीडियो बनाये जा रहे हैं, लेकिन इन चिढ़चिढ़े लोगों को ये नहीं पता,
तुम माँ के लाडलों को 1982 की तकनीकी निर्णयों और 1993 के वैश्वीकरण के बाद सस्ती हुयी तकनीकी से मोटरसाइकिल मिल गयी वो भी 30-40 साल पहले, और उस समय इन पापा की परियों को दरवाजे में बंद रखा जाता था, पढ़ने के लिए भी इन परियों को संघर्ष करना पड़ा और आज भी करना पड़ रहा है.
यदि तुम लाडलों के साथ इन परियों को भी सस्ती हो रही तकनीकी का लाभ मिलता तो शायद तुम्हारी औकात इस तरह के मजाकिया वीडियो बनाने की न होती.
ये वैसा ही है जैसे दलितों के पढ़ने से कुछ लोगों को बुरा लगता है, तो वे भी ऐसे ही इनका मजाक बनाकर खिल्ली उड़ाते फिरते हैं, लेकिन कमाल ये है, कि दलित भी लगातार आगे बढ़ रहे हैं, और लड़कियां भी. और मजाक बनाने वाले सिर्फ मजाक ही बनाते रह जाते हैं. और जब इनकी नौकरी नहीं लगती तो महिलाओं को मिले आरक्षण को, और अन्य आरक्षण पर सवाल उठाने लगते हैं.
खैर, भारत की कंपनी TVS को धन्यवाद् जिसने भारत में सबसे पहले 1996-97 में स्कूटी शुरू की, और जिसने ये सन्देश देशभर को दे दिया, अब इनकी भी बारी है.
एक बात और उन शहजादों को जो परियों पर मजाकिया वीडियो बनाते हैं, जरा youtube पर उन वीडियो को भी देख लेना, जिसमें लड़कियां बुलेट चलाती हैं, तुम्हारा "परी" वाला भ्रम दूर हो जायेगा.
चिंता मत करो, अभी तो सिर्फ 20-25 साल ही हुए हैं इन्हें स्कूटर मिले, 20-25 साल और गुजरने दो, फिर न वीडियो बना पाओगे और न ही मजाक.
अरे सुनो एक और झटका खाने के लिए तैयार हो जाओ, Royal Enfield बहुत जल्द महिलाओं के लिए हल्के वजन की बुलेट मोटरसाइकिल ला रही है, जिसके बाद परियों की भारी संख्या सड़कों पर बुलेट चलाती मिलेगी.
लड़कियों तुम चुप रहना,
जवाब तुम्हारा हुनर देगा.
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