खेतों
में हम रहे, तेरा भरा पेट कैसे ?
मेहनत
करी हमने, तू धन्ना सेठ कैसे ?
एक
गेहूँ मेरा, एक गेहूँ तेरा
अनाज
सबका एक तो फिर दोहरा रेट कैसे ?
खेत जोते, बीज बोया, पानी दिया मैंने
फसल मेरी कह रही, तेरी जमीन कैसे ?
खेत जोते, बीज बोया, पानी दिया मैंने
फसल मेरी कह रही, तेरी जमीन कैसे ?
गर
सोच तेरी काली, तो सफ़ेद लिबाज़ कैसे ?
रोका
तूने,
टोका तूने, दिया नहीं कोई मौका तूने
लेकिन
अब जो चल गया, रुकेगा ये आगाज कैसे ?
काम करूं दिन रात, बनती नहीं कोई बात
मेरे पास फटी धोती, तेरे पास कोट कैसे ?
धोखा खाया हर बार, भरोसा किया हर बार
वादा पूरा किया नहीं, तुझे दे दूं वोट कैसे ?
तूने बोला काम कर, आराम को हराम कर
अब चलने की बीमारी है, तो करूं पैर जाम कैसे ?
पढ़ने हमको दिया नहीं, किताब हाथ लिया नहीं
ज्ञान का सूरज तो अब निकला है, फिर अभी शाम कैसे ?
माना
ये जमीन तेरी, लेकिन सारी मेहनत मेरी
बाँटने
की बारी आई, तेरा पलड़ा नीचा कैसे ?
दया
भावना कुछ भी नहीं, दुआ कामना कुछ भी नहीं
दिल
इतना छोटा है तो, फिर तू अमीर कैसे ?
जमीर आखिर बेच दिया,
होगी नैया पार कैसे ?
उसने बोला आंखे खोल, कब
समझेगा सच का मोल
फिर हमने आवाज उठाई, अब
गद्दार कैसे ?
दिल ने कहा सवाल कर,
वापस मेरा माल कर
अभी तो सिर्फ नजरें
मिलायीं, तुझमें ये उबाल कैसे ?
मिट्टी से आकार दिया,
सपना तेरा साकार किया
अब जब अंदर जा नहीं सकते,
तो खुला दरबार कैसे ?
वो
बोली अम्मा भात, वो बोली घर पहुंचा दो लगा आघात
अब
भी नहीं आये तो, ऐसे भगवान् कैसे ?
-(बृजेन्द्र कुमार वर्मा )
5 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा लिखा है।
गांव की तस्वीर है इसमें
शुक्रिया
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badiya kavita.
Shukriya
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