ए 2013 मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगा. हालाँकि तूने मुझे काफी कुछ दिया और बहुत कुछ छीन लिया है..पर तुझ पर कोई आरोप नहीं लगाऊंगा. बस यही मान लूँगा कि शायद ये नियति में लिखा था, सो हुआ...
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तुम्हें मुस्कुराकर अलविदा कहना मेरा फर्ज है क्यूंकि मैं जानता हूँ कि तुम मुड़कर कभी वापस नहीं आओगे...
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तुम्हें मुस्कुराकर अलविदा कहना मेरा फर्ज है क्यूंकि मैं जानता हूँ कि तुम मुड़कर कभी वापस नहीं आओगे...
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