मैं भूल बैठा हूँ पहले से क्यों याद दिलाता है,
और याद दिला के उसकी क्यों और सताता है...
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बहुत देर कर दी तेरे रहनुमा ने बताने में,
अब क्या फायदा मुझे समझाने में...
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मोहब्बत का खंजर है....कोई इलाज नहीं इसके जख्म का
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अभी मेरी जिंदगी में और कितने मोड हैं, मुझे खुद नहीं पता
जाने कहाँ मंजिल है मेरी, जाने कहाँ ठहराव है.....
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नयी दिशाओं को खोजता हूँ मैं,
कहा मिले मंजिल, बस ये सोचता हूँ मैं...
और याद दिला के उसकी क्यों और सताता है...
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बहुत देर कर दी तेरे रहनुमा ने बताने में,
अब क्या फायदा मुझे समझाने में...
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मोहब्बत का खंजर है....कोई इलाज नहीं इसके जख्म का
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अभी मेरी जिंदगी में और कितने मोड हैं, मुझे खुद नहीं पता
जाने कहाँ मंजिल है मेरी, जाने कहाँ ठहराव है.....
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नयी दिशाओं को खोजता हूँ मैं,
कहा मिले मंजिल, बस ये सोचता हूँ मैं...
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