आज कोटद्वार के गोरमेंट इंटर कॉलेज में सुबह-सुबह किसी काम से गया। स्कूल में अच्छे से पढाई चल रही थी। कुछ बच्चे और टीचर घूम रहे थे। काफी हद तक क्लासे चल रही थीं। आज पहले से ज्यादा टीचर पढ़ा भी रहे थे।
लगभग 9 बजे ही थे की कुछ लोग स्कूल में खुसे और अन्ना के समर्थन में नारे लगाने लगे। शिक्षा को ध्यान में रखते हुए और वक़्त की नजाकत को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन ने उन लोगों को समझाया के हम लोग भी भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं लेकिन शिक्षा तो सुचारू रूप से चलने दो।
इस पर उन लोगों ने कहा कि "अन्ना भूखे है तो देश केसे पढ़ सकता है ।" "कोई पढाई नहीं होगी." "बंद करो स्कूल", वगरह वगेरह।
मैं खड़ा सुन रहा था ये देखने के लिए कि जो लोग देश का भला चाहते हैं, वो लोग दूसरी तरफ शिक्षा के खिलाफ केसे जा सकते हैं। मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे बाजी हो रही है या शिक्षा के खिलाफ। या फिर अन्ना के भूखे रहने की सजा स्चूली बच्चों को दी जा रही थी कि अगर अन्ना भूखे रहेंगे तो हिंदुस्तान की पढाई चोपट कर दी जाएगी....
खेर असफल प्रयास के बाद स्कूल को बंद करा दिया गया, नकारा टीचर जो पढ़ना नहीं चाहते और मुफ्त की रोटियां तोड़ना चाहते हैं वो मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। सोचा होगा चलो स्साला एक दिन और मिला मुफ्त की रोटी खाने को।
बच्चे स्कूल से वापस जाने लगे। मैं दूर खड़ा अभी भी ये तमाशा देख रहा था।
अब अन्ना समर्थक जिन्होंने स्कूल बंद करा दिया अब खड़े खड़े एक दुसरे का मूंह ताक रहे थे। उनमे एक ने कहा, "यार अब क्या किया जाए",
दूसर, "कुछ नहीं चलके सोते हैं तुझे पता नहीं शाम को झंडा चोक (कोटद्वार ) पर हल्ला करना है"
और ये बातें करके वो लोग हँसे और चल दिए... मैं खड़ा अभी भी देख रहा था।
अब मैं भी शाम का इन्तजार करने लगा, सोचा देखता हूँ कि भ्रष्टाचार का वोरोध वह कैसा होता है। शाम हुयी, वो समय भी आ गया। जमकर नारे बाज़ी हो रही थी। "अन्ना तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं", "भ्रष्टाचार ख़तम करो" और न जाएं क्या क्या।
जब गला सूख जाता था तो बगल वाली दूकान से पानी की बिसलेरी की बोतल जबरदस्ती उठा के पी लेते थे
ये क्या हो रहा है, भ्रष्टाचार का वो विरोध वो लोग कर रहे हैं जो शिक्षा के खिलाफ हैं जो शिक्षा को सुचारू रूप से चलते नहीं देखना चाहते। अरे शिक्षा तो वो अधियार है जो किसी भी समस्या को काट सकता है।
मैं शिक्षा के खिलाफ जाकर भ्रष्टाचार को ख़तम करने का नहीं सोच सकता।
लगभग 9 बजे ही थे की कुछ लोग स्कूल में खुसे और अन्ना के समर्थन में नारे लगाने लगे। शिक्षा को ध्यान में रखते हुए और वक़्त की नजाकत को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन ने उन लोगों को समझाया के हम लोग भी भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं लेकिन शिक्षा तो सुचारू रूप से चलने दो।
इस पर उन लोगों ने कहा कि "अन्ना भूखे है तो देश केसे पढ़ सकता है ।" "कोई पढाई नहीं होगी." "बंद करो स्कूल", वगरह वगेरह।
मैं खड़ा सुन रहा था ये देखने के लिए कि जो लोग देश का भला चाहते हैं, वो लोग दूसरी तरफ शिक्षा के खिलाफ केसे जा सकते हैं। मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे बाजी हो रही है या शिक्षा के खिलाफ। या फिर अन्ना के भूखे रहने की सजा स्चूली बच्चों को दी जा रही थी कि अगर अन्ना भूखे रहेंगे तो हिंदुस्तान की पढाई चोपट कर दी जाएगी....
खेर असफल प्रयास के बाद स्कूल को बंद करा दिया गया, नकारा टीचर जो पढ़ना नहीं चाहते और मुफ्त की रोटियां तोड़ना चाहते हैं वो मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। सोचा होगा चलो स्साला एक दिन और मिला मुफ्त की रोटी खाने को।
बच्चे स्कूल से वापस जाने लगे। मैं दूर खड़ा अभी भी ये तमाशा देख रहा था।
अब अन्ना समर्थक जिन्होंने स्कूल बंद करा दिया अब खड़े खड़े एक दुसरे का मूंह ताक रहे थे। उनमे एक ने कहा, "यार अब क्या किया जाए",
दूसर, "कुछ नहीं चलके सोते हैं तुझे पता नहीं शाम को झंडा चोक (कोटद्वार ) पर हल्ला करना है"
और ये बातें करके वो लोग हँसे और चल दिए... मैं खड़ा अभी भी देख रहा था।
अब मैं भी शाम का इन्तजार करने लगा, सोचा देखता हूँ कि भ्रष्टाचार का वोरोध वह कैसा होता है। शाम हुयी, वो समय भी आ गया। जमकर नारे बाज़ी हो रही थी। "अन्ना तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं", "भ्रष्टाचार ख़तम करो" और न जाएं क्या क्या।
जब गला सूख जाता था तो बगल वाली दूकान से पानी की बिसलेरी की बोतल जबरदस्ती उठा के पी लेते थे
ये क्या हो रहा है, भ्रष्टाचार का वो विरोध वो लोग कर रहे हैं जो शिक्षा के खिलाफ हैं जो शिक्षा को सुचारू रूप से चलते नहीं देखना चाहते। अरे शिक्षा तो वो अधियार है जो किसी भी समस्या को काट सकता है।
मैं शिक्षा के खिलाफ जाकर भ्रष्टाचार को ख़तम करने का नहीं सोच सकता।
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