आज देश भर में बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर जी की 120 वी जयंती मनाई जा रही है। कोटद्वार (उत्तराखंड ) में भी जयंती की धूम देखी गई। सुबह से ही पूरे शहर में विभिन्न स्थानों पर आयोजन किये गये। इस दोरान लोगों में जोश कका माहौल रहा। दलितों के मसीहा कि जयंती पर दलितों का जोश सातवें आसमान पर था। जेसे-जेसे शाम होती गई सडकों पर लोगों का हुजूम बढ़ता चला गया।
यहाँ के कोडिया से बाबा साहेब की रैली का आयोजन किया। इसमे विभिन्न दलित संगठनो ने अपनी विशेष भोमिका निभाई। जुलूश कोडिया से शुरू होक्कर मैं रोड से चलते हुए झंडा चोक तक पहुची और फिर यहाँ से अलग-अलग कालोनियों से होते हुए वापस कोडिया में स्थगित की गई। भव्य रैली थी, अगर कोटद्वार को ध्यान में रखा जाये तो ये सचमुच एक भव्य रैली थी।
इस रैली को सफल बनने का सबसे अधिक श्रेय जाता है दलित साहित्य अकादमी के रह्य सचिव प्रमोद कुमार चौधरी को। मेरी और से उन्हें उनकी मेहनत के लिए बधाई।
यहाँ मैंने भी एक बात महसूस की कि अभी भी बाबा साहेब का वो सपना पूरा नहीं हो पाया , जिसका कि उन्होंने कल्पना कि थी। उन्होंने कहा था कि संगठित बनो, लेकिन मैंने यही देखा कि बाबा कि जयंती एक छोटे से शहर में अलग-अलग मनाई जा रही थी, मात्र 100 मीटर की दूरी पर।
दूसरी बात , बाबा साहेब ने कहा था कि शंघर्ष करो, लेकिन इसके बावजूद भी दलित वर्ग अपेक्षित संघर्ष नहीं कर रहा है। यही कारण है कि कुछ दलित आज भी जानवरों से बदतर जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं। दलितों के उद्धार के लिए पार्टियाँ तो बहुत बनी, लेकिन उद्धार होता कही नहीं दिखाई दे रहा है। बहुजन समाज पार्टी से कुछ उम्मीद बंधी, लेकिन अब वो भी टूटती नजर आ रही है।
बाबा साहेब ने एक महत्वपूर्ण बात और कही थी- शिक्षित बनो। ये थोडा बहुत सफल होता जरूर दिख रहा है। कई दलित आईएएस और पीसीएस बन रहे हैं।
मुख्य धरा से उन्हें भी जोड़ना होगा
यहाँ हमें एक बात और याद रखनी होगी कि वो जो आज भी बड़ी जातियों के द्वारा परेशान किया जा रहे हैं, उन्हें भी किसी न किसी तरह से मुख्य धरा कि तरफ जोड़ना होगा ताकि वो हमारा भाई या बहन पिछड़ने न पाए। ये जिम्मेदारी भी हमें ही लेनी होगी। किसी सरकार या किसी और समुदाय प् हमें बिलकुल भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि आज जो भी हैं, जहा भी हैं, बाबा साहेब जी के संघर्ष से हैं और उनके आशीर्वाद से हमारे वर्ग ने जो संघर्ष किया है उससे हैं। मित्रों आज स्थिति ये है कि लोग हमारी ऊँचाइयों से डराने लगे हैं। "वो" लोग अब हमारी उन्नति से घबराने लगे हैं। ये हमारे लिए शुभ संकेत है। बस एक काम और मिलकर करना है कि अपने ही वर्ग के और कमजोर लोगों को अपने साथ ले के चलना है, हम उन्हें अकेले ऊँची जातियों के मानसिक जुल्म सहने के लिया नहीं छोड़ सकते।
बिना दलितों के सत्ता में आना मुश्किल
हम थोडा सा मजबूत हुए हैं। इसका नदाजा एक बात से ही लगया जा सकता है इ बी जे पी हो या कांग्रेस या कोई भी पार्टी अब बिना दलितों के वोट से सत्ता में नहीं आ सकती। दलित भाइयों अपनी शक्ति को पहचानो और अपने अधिकारों को जानो।
बस इसके लिए सबसे जरूरी है कि बाबा साहेब की बातों पर चलना होगा- १ शिक्षित बनो, २ संगढ़ित हो ३ संघर्ष करो।
समझो, जानो, पहचानो और आगे बढ़ाते चलो और निःशक्तों को साथ लेते चलो।
अभी संघर्ष बाकी है...
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