मैं नाराज हूँ तुमसे.....
मैं नाराज हूँ रुखी बयारों से
ऊँची दीवारों से
खेत से
खलियानों से
बड़े पहलवानों से,
हिंदू के मीत से
मुस्लिम की रीत से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....
मैं नाराज हूँ किसी के आने से
फिर चले जाने से
बाद में समझाने से,
बातों से
रातों से
इन मुलाकातों से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....
मैं नाराज हूँ कलियों से
गलियों से
और उन परियों से
हाँ से
न से
फिर चुप चुप से,
कल से
आज से
आते हुए कल से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....
मैं नाराज हूँ गरीबों की रोटी से
अमीरों की 'बोटी' से
आईने से
असली माइने से,
कभी शायद खुदा से
तो अपनी अदा जुदा से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....
मैं नाराज हूँ मन्दिर से
मस्जिद से
और अपनी 'इज्जत' से,
नीचाई से
ऊंचाई से
"उनकी" सच्चाई से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....
मैं नाराज हूँ अमीरों से
गरीबों से
'दिलकश' मरीजों से
शहादत से
आफताब से
एक खुली किताब से,
दिल से
दान से
और पुण्य 'काम' से,
लाभ से
हानि से
हर बेईमानी से
मैं नाराज हूँ तुमसे.....
हाँ , मैं नाराज हूँ.......... 'तुमसे'.....
8 टिप्पणियां:
मैं नाराज हूँ किसी के आने से
फिर चले जाने से
बाद में समझाने से................................
मैं नाराज हूँ कलियों से
गलियों से
और उन परियों से ..............
हाँ , मैं नाराज हूँ.......... '
तुमसे'.....
मैं नाराज हूँ अमीरों से
गरीबों से
'दिलकश' मरीजों से
Waah!! Kya sunder abhivyakti hai. Aapki Naarazgi Wazib hai.
Lekin wo kya hai na ki "Jinke Aangan mein Amiri ka Sazar lagta hai, Unka har aib zamane ko hunar lagta hai.
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
Aapki Chhupi huyi abhivyakit kavita ke madhyam se spasht ho gayi....asahniy dard hai aapki rachna mein.
.मैं नाराज हूँ चले जाने से
बाद में समझाने से.
उन परियों के प्रोत्साहित से
मैं नाराज हूँ.......... '
तुमसे'.....
dost itni bhi narazgi theek nahi............lekin agar hai to zahir karna bhi zaruri hai na jane wo kon hai kher kavita ki aur achcha kadam hai..........lage raho
बिरजू भाई नमस्कार
आपकी कविता में जो दर्द है उसकी वजह से में अपने आप को जवाब देने से रोक नही सका और आप की भावनाओ को हमेसा इसी तरह देखना चाहता हु पर इक बात है की आपके साथ जो हुआ उसके लिए मुझे अफ्सोसो तो है लेकिन में आप से यह भी पुचना चाहता हु की सब से आप नाराज है तो किसी से खुस भी है या नही
या फिर पुराणी चीज मिलने पर ही खुस होंगे
आपका दोस्त
सांतनु मिश्रा
Bahut he sunder kavita
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