मुंबई पर आतंकी हमलो में घायल हुआ राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (ATS) का एक जाबाज कमांडो ऐ के सिंह अस्पताल में घायल पड़ा है। ये जो मोमबत्ती जलाकर शोक का धकोश्ला कर रहे थे किसी में इतनी हिम्मत नही हो पायी की उसके लिए कुछ करते.....
अब इनकी सद्भावनाएं कहाँ गई ? ये भावनाएं क्या तभी निकलती हैं जब कोई जवान शहीद हो जाता है।
ओबरॉय होटल में १८ वी मंजिल पर श्री सिंह कार्यवाही कर रहे थे तभी आतंकवादी ने उनपर हथगोला फेंक दिया जिससे वे बेहोश हो गए। उनके पूरे शरीर में गोले के छर्रे घुश गए। एक छर्रा उनकी आँख में भी चला गया जिससे उनकी आँख ख़राब हो गई। अस्पताल में बायीं आंख से छर्रा नहीं निकला जा सका । अजीब सी बात लगती है.......
कमाल की बात तो ये है की देश जो कभी मोमबत्ती , तो कभी शांत जुलुश निकल कर श्रृधांजलि दे रहा था अब कहा गायब हो गया.........
और दुःख तो तब होता है जब मोके का फायदा उठाने नेता भी यहाँ झूठी तस्सली देने नही आते। कांग्रेस ने सोचा होगा की शिवराज पाटिल और देशमुख को हटा दिया तो बहुत बड़ा तीर मार दिया। एक भी नेता उन्हें देखने तक नही आया यहाँ तक की उनकी बटालियन के वरिष्ठ अधिकारी भी बिना हाल पूछे दिल्ली लौट गए..... ये है हमारे देश का कदम.....
लगता है हमारे देश वासी भी तभी भावनाएं दिखाते हैं जब या तो आसपास कैमरा होता है या कोई व्यक्तिगत लाभ।
अगर इतना ही आतंकी हमले का दुःख हैं तो मुझे लगता हैं जिस पैसे से मोमबत्ती से शोक या सद्भावनाएं जो भी दिखाते हैं, उसकी जगह इन्हें ऐ. के सिंह जेसे सिपाहियों पर खर्च करना चाहिए।
नहीं तो कहीं ऐसा न हो की सिपाही भी कोताही बरतने लगे ये सोच कर कि, अरे यार ये देश तो हमारी केयर करता नही, तो हम ही क्यों फालतू में झक मराएँ।
अब इनकी सद्भावनाएं कहाँ गई ? ये भावनाएं क्या तभी निकलती हैं जब कोई जवान शहीद हो जाता है।
ओबरॉय होटल में १८ वी मंजिल पर श्री सिंह कार्यवाही कर रहे थे तभी आतंकवादी ने उनपर हथगोला फेंक दिया जिससे वे बेहोश हो गए। उनके पूरे शरीर में गोले के छर्रे घुश गए। एक छर्रा उनकी आँख में भी चला गया जिससे उनकी आँख ख़राब हो गई। अस्पताल में बायीं आंख से छर्रा नहीं निकला जा सका । अजीब सी बात लगती है.......
कमाल की बात तो ये है की देश जो कभी मोमबत्ती , तो कभी शांत जुलुश निकल कर श्रृधांजलि दे रहा था अब कहा गायब हो गया.........
और दुःख तो तब होता है जब मोके का फायदा उठाने नेता भी यहाँ झूठी तस्सली देने नही आते। कांग्रेस ने सोचा होगा की शिवराज पाटिल और देशमुख को हटा दिया तो बहुत बड़ा तीर मार दिया। एक भी नेता उन्हें देखने तक नही आया यहाँ तक की उनकी बटालियन के वरिष्ठ अधिकारी भी बिना हाल पूछे दिल्ली लौट गए..... ये है हमारे देश का कदम.....
लगता है हमारे देश वासी भी तभी भावनाएं दिखाते हैं जब या तो आसपास कैमरा होता है या कोई व्यक्तिगत लाभ।
अगर इतना ही आतंकी हमले का दुःख हैं तो मुझे लगता हैं जिस पैसे से मोमबत्ती से शोक या सद्भावनाएं जो भी दिखाते हैं, उसकी जगह इन्हें ऐ. के सिंह जेसे सिपाहियों पर खर्च करना चाहिए।
नहीं तो कहीं ऐसा न हो की सिपाही भी कोताही बरतने लगे ये सोच कर कि, अरे यार ये देश तो हमारी केयर करता नही, तो हम ही क्यों फालतू में झक मराएँ।
2 टिप्पणियां:
netaon ki matlab parasti par bahut hi accha likha hai, brijendra bhai...sare neta bhrast hain...
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