गैर कानूनी लेनदेन एवं विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन पर
रहती है नजर
बृजेन्द्र कुमार वर्मा,
(लेखक- ग्रामीण विकास
संचार अध्ययनकर्ता हैं)
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आजकल ई0डी0 विभाग पूरे भारत में चर्चे में है। भारत में हो रहे गैर कानूनी
लेनदेन एवं विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन पर इसकी नजर होती है। आम जनता को यह तो
पता है कि ई0डी0 लोगों के घर से अवैध रूपयों को जब्त करता है, लेकिन यह कार्य करता कैसे है, यह बहुत कम लोगों को
पता है, जबकि आम जनता को ई0डी0 के बारे में अवश्य ही पता होना चाहिए। क्योंकि देखा जाए तो
अप्रत्यक्ष रूप से ई0डी0 आम जनता की गाढ़ी कमाई, जिसे अपराधियों ने
अवैध रूप से अपने घरों में जमा कर रखा है, को ही बरामद करता है।
ई0डी0 अर्थात प्रवर्तन निदेशालय के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना
01 मई,
1956 को हुई थी। ’विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947’ (फेरा, 1947) के अंतर्गत विनिमय
नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक
प्रवर्तन इकाई का गठन का गया था। इसका मुख्यालय दिल्ली बनाया गया। कुछ समय बाद वर्ष
1960 में इस निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण, आर्थिक कार्य मंत्रालय से राजस्व विभाग में हस्तांतरित कर दिया
गया। कुछ वर्षों बाद ’फेरा-47’ को हटाकर इसके स्थान
पर फेरा, 1973 आ गया। तत्कालीन निदेशालय को मंत्रीमण्डल सचिवालय, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र
में रखा गया। इसे भी बदलकर 01 जून, 2000 से एक नई विधि विदेशी
मुद्रा अधिनियम, ’1999-फेमा’ लागू किया गया। बाद मे, अंतर्राष्ट्रीय धन
शोधन व्यवस्था के अनुरूप,
एक नया कानून धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) बना और प्रवर्तन निदेशालय को 1 जुलाई 2005 से ’पीएमएलए’ को प्रवर्तित करने का दायित्व सौंपा गया। हाल ही में, विदेशों में शरण लेने वाले आर्थिक अपराधियों से संबंधित मामलों
की संख्या में वृद्धि के कारण, सरकार ने ’भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018’ (एफइओए) पारित किया
है और प्रवर्तन निदेशालय को 21 अप्रैल, 2018 से इसे लागू करने का दायित्व सौंपा गया है। वर्तमान में, निदेशालय राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
भारत सरकार का प्रवर्तन निदेशालय एक बहु-अनुशासनिक संगठन है, जो धन शोधन (मनी लॉन्डरिंग) के अपराध और विदेशी मुद्रा कानूनों
के उल्लंघन की जांच करता है। ई0डी0 कई अधिनियमों के तहत कार्यवाही करते हैं। ई0डी0 के अनुसार, ’धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002’ (पीएमएलए) एक आपराधिक कानून है, जिसे धन शोधन (मनी लॉन्डरिंग) को रोकने के लिए और इस से प्राप्त
संपत्ति की जब्ती का प्रावधान करने के लिए बनाया गया है। जब कोई ’मनी लॉन्डरिंग’ से धन एकत्रित करता है, तो ऐसे अपराधी के खिलाफ
इस अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाती है। इसी प्रकार ई0डी0
’विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999’ (फेमा) के तहत भी कार्यवाही करता है। अधिनियम के अनुसार, यह एक नागरिक कानून है, जो विदेशी व्यापार
और भुगतान की सुविधा से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने और भारत में विदेशी
मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए अधिनियमित किया गया
है। प्रवर्तन निदेशालय को विदेशी मुद्रा कानूनों और विनियमों के संदिग्ध उल्लंघनों
के अन्वेषण करने, कानून का उल्लंघन करने वालों को न्याय निर्णित करने और उन पर
जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार ’भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018’ (एफईओए) के अंतर्गत
ई0डी0 कार्य करता है। यह कानून आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों
के अधिकार क्षेत्र से बाहर भागकर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिए
बनाया गया था। इस कानून के अंतर्गत ई0डी0 ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधी, जो गिरफ्तारी से बचते
हुए भारत से बाहर भाग गए हैं, उनकी संपत्तियों को
कुर्क करने का प्रावधान है। ई0डी0 इनके अलावा ’विदेशी मुद्रा संरक्षण
और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974’ (सीओएफइपीओएसए) के तहत, इस निदेशालय को ’फेमा’ के उल्लंघनों के संबंध में निवारक निरोध के मामलों को प्रायोजित
करने का अधिकार है।
ई0डी0 की कार्यप्रणाली पर नजर डालें तो पता चलता है कि प्रवर्तन निदेशालय
का एक निदेशक होता है, जिसके अधीनस्थ क्षेत्र स्तर के विशेष निदेशक कार्य करते हैं।
यह केन्द्र स्तर पर कार्य करते हैं। कार्य संचालन के लिए क्षेत्र का बंटवारा पश्चिम
क्षेत्र, उत्तर क्षेत्र, दक्षिण क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, और पूर्वी क्षेत्र
के रूप में किया गया है। विशेष निदेशक के नीचे संयुक्त निदेशक होते हैं, जो क्षेत्र के विभिन्न जोन के लिए कार्य करते हैं। संयुक्त निदेशक
के नीचे का कार्य उपनिदेशक देखते हैं। इतना ही नहीं विधिक सलाह एवं अन्य संबंधित कार्य
के लिए संयुक्त सचिव नियुक्त किए जाते हैं। भारत के जिस क्षेत्र में विदेशी मुद्रा
अथवा अवैध संपत्ति अथवा मनी लॉन्डरिंग जैसी अपराध होते हैं, वहां के क्षेत्रीय ई0डी0 अधिकारी कार्यवाही करते हैं, एवं रिपोर्ट सीनियर
अधिकारी को अथवा कार्यालय को प्रेषित की जाती है।
ई0डी0 द्वारा की गयी विभिन्न कार्यवाहियों पर बात करें, तो भारत में हो रहे मनी लॉन्डरिंग, अवैध लेन-देन जैसे अपराधों की पोल खुल जाती है। आंकड़ों के अनुसार, ’धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) - 2002’ के अंतर्गत 31 मार्च 2022 तक कुल 5422 मामले दर्ज किए गए।
इसमें 1739 मामलों में कुर्की का आदेश दिया जा चुका है। ई0डी0 द्वारा कुर्क की गयी कुल परिसम्पत्तियों का कुल मुल्य 104702 करोड़ रुपये है। पुष्ट अनंतिम कुर्की आदेशों की संख्या 1369 तथा न्यायनिर्णयन प्राधिकरण द्वारा अनंतिम कुर्की आदेशों के
तहत कुर्क की गई परिसंपत्तियों का मूल्य 58591 करोड़ रूपये है। ई0डी0 ने इस अधिनियम के तहत 400 लोगों को गिरफ्तार
भी किया है। दर्ज शिकायतों में 992 अभी भी विचाराधीन
हैं। ई0डी0 ने ’विदेशी मुद्रा प्रबंधन
अधिनियम (फेमा), 1999’ के तहत भी विभिन्न कार्यवाही को अंजाम दिया है। इस अधिनियम के
तहत ई0डी0 ने 31 मार्च 2022 तक कुल 30716 मामलों की जाँच आरंभ
की, जिसमें 15495 जाँच पूरी कर ली गयीं।
8109 लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जबकि न्याय-निर्णीत कारण बताओ नोटिस 6472 लोगों को दिया गया। ई0डी0 ने ’भगोड़ा आर्थिक अपराधी
अधिनियम, 2018’ (एफईओए) के तहत भी कार्यवाही की है। इसमें 14 व्यक्तियों के विरुद्ध ’एफईओए’ के तहत कार्रवाई आरंभ की गयी, जिसमें एफ0ई0ओ0 घोषित व्यक्तियों की संख्या 09 है। अधिनियम के तहत जब्त की गयी परिसम्पतियों का कुल मूल्य
433 करोड़ है।
वर्तमान में ई0डी0 भारतीय मीडिया में छाया हुआ है। ई0डी0 की कार्यवाही में जिस प्रकार से लोगों के घरों में भरा पड़ा
पैसा बरामद किया जा रहा है,
वह कहीं न कहीं आम जनता के खून पसीने की कमाई है, जिसे अपराधियों ने गलत तरीकों से इक्टठ्ठा किया है। भारत की
गरीब जनता कहीं न कहीं ई0डी0 का धन्यवाद ही दे रही होगी, जो अवैध पैसा को बरामद
कर रहे हैं। कुछ राजनीतिक पार्टियां ई0डी0 के दुरुपयोग किए जाने की बात कर रही हैं। यदि ऐसा है तो यह
भी सिद्ध करना चाहिए कि जिन पर ई0डी0 कार्यवाही करके करोड़ों बरामद कर रही है, वह पैसा आखिर आ कहां से रहा है। गैर-कानूनी तरीकों, मनी लॉन्डरिंग करने या विदेशों से अवैध लेन-देन से एकत्रित की
गयी अवैध सम्पत्ति को यदि ई0डी0 बरामद कर भी रही है, तो इसे राजनीतिक नहीं
कहना चिहए, क्योंकि यह आम जनता के हक का रूपया है, जो उन तक पहुंच ही नहीं पाया। ऐसी कार्यवाही लगातार होती रहनी
चाहिए, फिर सरकार किसी भी पार्टी की ही क्यों न हो।
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