सीखने के लिए मैंने हर जख्म सींचे हैं, पढ़ना है दर्द मेरा तो सब लिंक नीचे हैं

रविवार, मार्च 13, 2011

आखिर क्यों न हो शिक्षा का बंटाधार?


आज का अमर उजाला ( 13 मार्च 11, देहरादून संस्करण ) पढ़ा अलग-अलग पेजो पर शिक्षा से जुडी खबरे देखी।


पहले हंसी आयी फिर स्थिति पर दुःख हुआ..... इन फोटुओं को देखिये.... एक विज्ञापन पर लिखा है बी.एड 2009-10 में डाइरेक्ट प्रवेश। जबकि बी.एड 2009-10 का सत्र चल रहा है ( 1 साल लेट चल रहा है यानि 2010-11 ) और प्रशिक्षणार्थी सितम्बर में ही प्रवेश ले चुके हैं।

अब सोचिये कि सत्र खत्म होने को है, ऐसे में अगर किन्ही छात्रों को प्रवेश दिया भी जाता है तो किस प्रकार के ये शिक्षक बनकर तैयार होंगे, ये आप सोच ही सकते हैं।

एक अन्य खबर में लिखा है कि उच्च शिक्षा में योग्य शिक्षक ही नहीं मिल रहे हैं।

यही कारण हैं कि उच्च शिक्षा में योग्य शिक्षकों की कमी होने के कारण बी.एड छात्रों को बस जैसे तैसे डिग्री दे दी जाती है और वो स्कूलोँ में क्या पढ़ाते हैं ये ज्यादातर आप ख़बरों में आये दिन पढ़ते ही रहते होंगे। योग्य शिक्षक ही नहीं तो कैसी शिक्षा मिलेगी और बाद में वो कैसे शिक्षक बनेंगे?

शिक्षा से जुडी एक और लेकिन शर्मनाक खबर पढ़ी। छात्रा के यौन उत्पीडन के मामले में बंगलोर में एक शिक्षक को गिरफ्तार किया गया है। तो आल ओवर ये समझ जाना चाहिए कि आखिरकार हमारी भारतीय शिक्षा किस दिशा में जा रही है।
एक साल का बी.एड सिर्फ 2 महीने में। उच्च शिक्षा में योग्य टीचर नहीं मिल रहे और कुछ शिक्षक यौन उत्पीडन में गिरफ्तार हो रहे हैं......

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