दो दिन पहले नव दुनिया में एक ऐसी कविता प्रकाशित की गई जिसने मेरे दिल को छू लिया।
ये कविता प्रिया गोपी (छात्रा) ने अपने पिता के दिवंगत हो जाने के कुछ दिन बाद उनके स्मरण पर लिखी। इस कविता को तीसरे कदम का सलाम।
ये कविता अब दुनिया के पटल पर में देना चाहता हूँ।
"जिनके पिता नहीं होते
बगैर किसी उंगली
या हाथ के सहारे वे चलते हैं।
ऐसे बच्चे पावं में
गड़ा काँटा निकालते हैं स्वयं।
उनके दिलों में खाली रहती है
एक जगह उम्र भर।
मुसीबत के वक्त
वे आकाश की तरफ़ देखते हैं,
और गहरी साँस लेते हैं।
वे अकेले होते हैं
अपने निर्णय और अनिर्णय में
कोई नहीं होता
उनकी हार-जीत के साथ।
अपनी गलतियों पर
वे झिड़कते हैं ख़ुद को।
हर एक काम के बाद
थपथपाते हैं ख़ुद
अपनी पीठ।
जिनके पिता नहीं होते
ख़ुद अपने पिता
होते हैं ऐसे बच्चे।"
इस छात्रा की कविता पर अपनी टिप्पणी जरूर दे।
सोजन्य से:- नव दुनिया
ये कविता प्रिया गोपी (छात्रा) ने अपने पिता के दिवंगत हो जाने के कुछ दिन बाद उनके स्मरण पर लिखी। इस कविता को तीसरे कदम का सलाम।
ये कविता अब दुनिया के पटल पर में देना चाहता हूँ।
"जिनके पिता नहीं होते
बगैर किसी उंगली
या हाथ के सहारे वे चलते हैं।
ऐसे बच्चे पावं में
गड़ा काँटा निकालते हैं स्वयं।
उनके दिलों में खाली रहती है
एक जगह उम्र भर।
मुसीबत के वक्त
वे आकाश की तरफ़ देखते हैं,
और गहरी साँस लेते हैं।
वे अकेले होते हैं
अपने निर्णय और अनिर्णय में
कोई नहीं होता
उनकी हार-जीत के साथ।
अपनी गलतियों पर
वे झिड़कते हैं ख़ुद को।
हर एक काम के बाद
थपथपाते हैं ख़ुद
अपनी पीठ।
जिनके पिता नहीं होते
ख़ुद अपने पिता
होते हैं ऐसे बच्चे।"
इस छात्रा की कविता पर अपनी टिप्पणी जरूर दे।
सोजन्य से:- नव दुनिया
2 टिप्पणियां:
दिल को छूने वाली
संवेदनशील काश ईस प्रकार की कविताएं लिखने की
जरूरत नही पड़ती
समझ सकता हूं । बच्ची को स्नेह । ऐसा दर्द जब जीवन में आ जाए तो सहना ही पड़ता है । यही कहूंगा कि जिन्दगी की हर घड़ी में हिम्मत बनाए रखना
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