कमाल की बात है जैसे ही बीजेपी ने विजय कुमार मल्होत्रा को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया तो वे भी अपने दायित्वों के प्रति सचेत हो गए। अब देखिये न २७ सितम्बर को हुए दिल्ली बम ब्लास्ट में वे तुंरत घटना स्थल पर पहुंचे और सरकार पर खूब जम के बरसे..... जम के मतलब जम के। मल्होत्रा साब जल्दी से अपने उत्तरदायित्वों को समझ गए । नहीं तो ये वही नेता जी हैं जो पिछले दिल्ली बम ब्लास्ट में बिल्कुल चुप नजर आए थे। और जब प्रत्याशी बने तो ......
लेकिन मुख्यमंत्री प्रत्याशी होने के नाते उन्होंने वो टिप्पणियां नहीं की जो की सामान्य प्रत्याशी जोरो-शोर से करता है।
शायद उन्होंने सोचा की टिका-टिप्पणी करने से मेरे पाले के लोग ही न भड़क जाए ? और कहे -- क्या यार क्यों तुम नाक कटाने पर तुले हो। इन छोटी-मोटी वारदातों पर छीटाकशी कर रहे हो। ध्यान रहे । सरकार पर तब तक भूखे शेर की तरह नहीं टूटना चाहिए , जब तक की कोई बड़ा हादसा न हो जाए।
जैसे- जैसे ये हादसे बढते जा रहे हैं। वैसे -वैसे जनता से किए वादों की चट्टानों में दरार आती जा रही है और उनमे से निकलने वाली रक्त -ज्वाला जनता की मानसिकता पर धैर्य के उपले को सुलगाती जा रही है।
अब वक्त आ चुका है। अब तीसरा कदम उठेगा। जनता का। उनके ख़ुद के लिए। ताकि वो जी सके और पूरा कर सकें उन अरमानों को जिसके लिए वे आज संघर्षरत हैं।
7 टिप्पणियां:
बहुत बेहतर ! बहुत अच्छी पोस्ट ! बधाई ! जारी रखिये !
अब वक्त आ चुका है। अब तीसरा कदम उठेगा।
बहुत सुंदर लिखा है. बधाई स्वीकार करें.
brijendra bhai der se hi sahin par tisra kadam uthega hi..........badhai svikar kare
amit kapse
बहुत अच्छा..... बहुत बहुत बधाई।
सुंदर प्रस्तुति . आपका चिठ्ठा जगत में स्वागत है निरंतरता की चाहत है .. मेरा आमंत्रण स्वीकारें मेरे चिट्ठे पर भी पधारें
Hi Brijendra
good yar, keep it up
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